तीन दिनों से अनवरत बारिश ने जिले में मचाई तबाही नदी-नाले उफान पर जिला मुख्यालय बना टापू घरों में घूसा बारिश का पानी बिजली व पीने का पानी व्यवस्था चरमराई जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त


सिकासेर बांध के 17 गेट खोले गए 20 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया
राहत और बचाव दल फंसे लोगों को निकालने का कर रही काम
तटीय इलाकों में अलर्ट घोषित

लोकेश्वर सिन्हा

गरियाबंद —जिले में लगातार तीन दिन से हो रही बारिश से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। बीती रात और मंगलवार की सुबह हुई तेज बारिश से जिले के सबसे बड़ी पैरी नदी और अंचल की छोटे नदी-नाले उफान पर है। इस बारिश से जिला मुख्यालय गरियाबंद देखते ही देखते टापू बनकर रह गया। भादों माह में जमकर हुई बारिश ने चारों तरफ कोहराम मचा दिया है। गांवों का सम्पर्क पूरी तरह से जिला मुख्यालय से कट गया था।
मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार की सुबह तक गरियाबंद तहसील में ही 197.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। इसके अलावा राजिम में 112.6 और छूरा में 137.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। वहीं जिले में आज 107.1 मिलीमीटर औसत वर्षा रिकॉर्ड की गई है। पैरी नदी में बाढ़ आ जाने के कारण नेशनल हाईवे 130 सी में आवागमन अवरुद्ध रहा, साथ ही छुरा अंचल में भी तेज बारिश से जिला मुख्यालय का संपर्क टूट गया था।
आफत बनकर आई बारिश
जिले में बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश ने बाढ़ का ऐसा मंजर दिखाया, जिसे देख हर कोई हतप्रभ रह गया। अंचल में दशकों बाद बाढ़ का ऐसा नजारा देखने को मिला है। यह बारिश लोगों के लिए आफत बनकर आई। जिला मुख्यालय चारों तरफ पानी से घिरा रहा। बाढ़ का पानी खेतों में घूस जाने से लहलहाती फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई है। इसके साथ ही जिला मुख्यालय के विभिन्न वार्डों में बारिश का पानी घरों में घूस जाने से नगरवासियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वहीं बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई थी। इस बारिश में घंटों देर तक बिजली बंद रहने से लोगों को पेयजल एवं निस्तारी की समस्याओं से जूझना पड़ा है। गरियाबंद नगरीय क्षेत्र के निचले वार्ड की बस्तियों में बारिश का पानी घूस जाने के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिससे कि स्थानीय पालिका प्रशासन की लचर व्यवस्थाओं को लेकर रोष देखा गया। प्रभावितों के लिए मंगल भवन में रहने और खाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है।
सिकासेर बांध के 17 गेट खोलकर 20 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया
जिले के सिकासेर बांध से 20669 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। मंगलवार की दोपहर 12 बजे की स्थिति में 22 गेट में से 17 गेट को तीन फीट तक खोला गया था। फिलहाल सिकासेर बांध में जलभराव की स्थिति लगभग 90 प्रतिशत तक बनी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार धमतरी जिला स्थित सोंढूर बांध से भी पानी छोड़ा गया था, जो कि गरियाबंद जिला के नेशनल हाइवे 130 सी स्थित ग्राम पंटोरा के समीप पैरी-सोंढूर का संगम है। दोनों बांध से पानी छोड़े जाने से बाढ़ का भयावह नजारा देखा गया। पैरी और सोंढूर नदी काफी उफान पर थे, जिससे कि नेशनल हाइवे 130 सी में आवागमन पूरी तरह से अवरुद्ध रहा।भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ है वही बाढ़ में जिले के अलग-अलग जगहों पर लोगों के फंसे होने की जानकारी मिली थी, जिन्हें लोगों की सहायता और पुलिस, एसडीआरएफ की टीम की सहायता से रेस्क्यू किया जा रहा था। जानकारी के मुताबिक बारुला-मैनपुर में दो, छुरा में तीन और मालगांव-पण्टोरा में तीन लोगों के फंसे होने की जानकारी मिली थी। जिला मुख्यालय के नजदीक ग्राम मजरकट्टा में फंसे दो और मालगांव-पंटोरा तीन लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा मुस्तैदी से राहत और बचाव का कार्य जारी है। वहीं प्रभावित क्षेत्रों में कच्चे मकानों में रह रहे लोगों को पंचायतों में रहने के लिए कहा गया है।
कलेक्टर निलेश क्षीरसागर, एसपी पारुल माथुर और आला अधिकारी मालगांव-पण्टोरा के अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लेने के साथ ही मौके पर पहुंच अधिकारियों को लगातार दिशा-निर्देश देरहे थे। उन्होंने सभी अनुविभागीय अधिकारियों को मौके पर तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं। मैदानी अमलों को भी अपने पंचायत में रहने के निर्देश दिए गए हैं।
कलेक्टर ने राजस्व अमला को भी गरियाबंद के प्रभावित 30 गांवों में जन माल की हानि का रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही सभी तटीय इलाकों में अलर्ट घोषित किया गया है। कलेक्टर क्षीरसागर ने आम लोगों से भी अपील किया है कि बाढ़ के पानी को पार करने से बचें और पानी जब खतरे से नीचे उतरे तब ही आवागमन करें।

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