छुरा ।भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित त्योहार आज रविवार को मनाया गया । ये त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं ( जिसे हम राखी कहते हैं) और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था।
-राखी वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान कर पवित्र हो कर देवताओं को प्रणाम करें। इसके बाद अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करते हैं ।
- थाली चांदी, पीतल, तांबा या फिर स्टील की थाली में राखी, अक्षत और रोली रखकर ।
-सबसे पहले राखी की थाल को पूजा स्थान पर रखते हैं और पहली राखी बाल गोपाल या फिर अपने ईष्ट देवता का चढ़ाते है ।
इसके लिए भाई को पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बिठाएं।
-ध्यान रखें राखी बांधते समय भाई के सिर पर एक रुमाल जरूर होना चाहिए।
-फिर बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाते हैं और कुछ अक्षत लगाया जाता है ।
-कुछ अक्षत भाई के ऊपर आशीर्वाद के रूप में छींटें।
-फिर दीया जलाकर भाई की आरती उतारी जाती है । मान्यता है कि ऐसा करने से बहन अपने भाई को बुरी नजरों से बचाती हैं।
-इसके बाद बहन भाई की दायीं कलाई पर राखी बांधते हुए इस मंत्र को बोला जाता है । ‘ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
-अब भाई-बहन एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया जाता है ।
-अगर बहन बड़ी है तो भाई उसके चरण स्पर्श करते हैं और अगर बहन छोटी है तो वो भाई के पैर छुते है। और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।
-अंत में भाई बहन को कुछ न कुछ उपहार देने की परंपरा निभाते हैं।