इस वर्ष रक्षाबंधन में रहेंगे दिन भर मुहूर्त,,,,,,आचार्य पं• कृष्ण कुमार तिवारी

इस वर्ष श्रीसंवत् 2078, शक: 1943 ,राक्षस नामाब्दे दिनांक 22/08/2021दिन रविवार को इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व मनाये जायेगे ,
श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि दिन रविवार को प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से सांयकाल 5 बजकर 31मिनट तक रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। कारण क्या है , बताये गये समय के अनुसार ही रक्षाबंधन का पर्व मनाना शुभ है , आइये जाने , प्रातः 6.16 के पहले भद्रा और सांयकाल 5.31 के पश्चात् पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जायेंगे इसलिए भद्रोत्तर पश्चात् रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि के समाप्ति शाम 05 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
रक्षाबंधन के पूरे दिन मे
विशेष चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार है ,
लाभ – प्रातः 8.57 से 10.31तक, अमृत- प्रातः10.31 से मध्यान्ह 12.06 तक , और शुभ – दोप‌हर 1.41 से अपरान्ह 3.15 तक योग रहेगा। इस वर्ष रक्षाबंधन के लिए दिन भर पर्याप्त मुहूर्त रहेंगे ।।
आइये
वैदिक रक्षासूत्र (रक्षाबंधन) – कैसे बनाये जाते है पर्व मे उनको जाने , रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है। यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बांधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है।प्रति वर्ष श्रावणी -पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पावन पर्व होता है इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा- सूत्र बांधती है।ब्राह्मण अपने यजमानों को मंत्रोचारण कर रक्षा के निमित्त से रक्षा -सूत्र बांधते हैं व गुरू अपने शिष्यों के कल्याण के निमित्त से,भक्त अपने आराध्य देव को सर्व कल्याण निमित्त रक्षासूत्र बांध कर मंगल कामना करते हैं । भारतीय संस्कृति में वृक्षों को भी देवों के तुल्य माना गया है और वैदिक सनातन धर्म में उनका पूजन भी किया जाता है अंतः एक संकल्प लेकर पर्यावरण संरक्षण हेतु हम वृक्षों को भी रक्षासूत्र बांधकर वैदिक परंपरा अनूरूप पर्यावरण संतुलन में सहभागी बन सकते है

कैसे बनायें वैदिक राखी ?
वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें।

(१) दूर्वा

(२) अक्षत (बिना टुटा चावल)

(३) केसर या हल्दी

(४) शुद्ध चंदन

(५) सरसों के साबूत दाने* या(पीसी हल्दी )

इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं।

वैदिक राखी का महत्त्व
वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं ।
वैसे यह वैदिक रक्षासूत्र वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व-मंगलकारी है । रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता है :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि१ रक्षे मा चल मा चल।।

रक्षासूत्र बाँधते समय एक श्लोक और पढ़ा जाता है जो इस प्रकार है-

ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।

इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है । यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सद्गुरु को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है भक्ति बढ़ती है,
पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार
बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहितवर्ष भर सूखी रहते हैं ।

रक्षा सूत्रों के विभिन्न प्रकार
〰〰〰〰〰〰〰〰
विप्र रक्षा सूत्र- रक्षाबंधन के दिन किसी तीर्थ अथवा जलाशय में जाकर वैदिक अनुष्ठान करने के बाद सिद्ध रक्षा सूत्र को विद्वान पुरोहित ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिवाचन करते हुए यजमान के दाहिने हाथ मे बांधना शास्त्रों में सर्वोच्च रक्षा सूत्र माना गया है।

गुरु रक्षा सूत्र- सर्वसामर्थ्यवान गुरु अपने शिष्य के कल्याण के लिए इसे बांधते है।

मातृ-पितृ रक्षा सूत्र- अपनी संतान की रक्षा के लिए माता पिता द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र शास्त्रों में “करंडक” कहा जाता है

भातृ रक्षा सूत्र- अपने से बड़े या छोटे भैया को समस्त विघ्नों से रक्षा के लिए बांधी जाती है देवता भी एक दूसरे को इसी प्रकार रक्षा सूत्र बांध कर विजय पाते है।

स्वसृ-रक्षासूत्र- पुरोहित अथवा वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के बाद बहिन का पूरी श्रद्धा से भाई की दाहिनी कलाई पर समस्त कष्ट से रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधती है। भविष्य पुराण में भी इसकी महिमा बताई गई है। इससे भाई दीर्घायु होता है एवं धन-धान्य सम्पन्न बनता है।

गौ रक्षा सूत्र- अगस्त संहिता अनुसार गौ माता को राखी बांधने से भाई के रोग शोक दूर होते है। यह विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है।

वृक्ष रक्षा सूत्र – यदि कन्या को कोई भाई ना हो तो उसे वट, पीपल, गूलर के वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधना चाहिए पुराणों में इसका विशेष उल्लेख है।

अंत मे जिस प्रभु के द्वारा इस संसार के सभी जीव का पोषण व रक्षा होते है उस प्रभु को भी रक्षा सूत्र अर्पण करके अपने कल्याण का कामना करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *