मातृभाषा हिन्दी को जन-जन तक पहुंचाने लिया संकल्प छ.ग.हिन्दी साहित्य भारती गरियाबंद की पहल

✍? रिपोर्टर विक्रम कुमार नागेश गरियाबंद

मैनपुर/गरियाबंद

अंतरराष्ट्रीय संगठन”हिन्दी साहित्य भारती”हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने, न्यायालयीन निर्णयों को हिन्दी भाषा में भी अनिवार्यतःदिए जाने और भारत के लिए”इंडिया”जैसे शब्दों को संविधान से विलोपित करने जैसी माँगों को लेकर मुहिम चलाई जा रही है!भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाने के आग्रह के साथ महामहिम राष्ट्रपति के नाम ऑनलाईन और ऑफलाईन दोनों प्रकार से पत्र-लेखन का अभियान चलाया जा रहा है,अभी तक पूरे देश में हजारों गणमान्य नागरिक पत्र-लेखन अभियान का हिस्सा बन चुके हैं!इन्ही उद्देश्यों को लेकर छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य भारती जिला गरियाबंद के द्वारा विगत एक वर्षों से लगातार विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है!यह कार्यक्रम तीज- त्यौहारो और राष्ट्रीय पर्वों पर आनलाइन काव्य गोष्ठी के माध्यम से आयोजित हुआ था!साथ ही हिन्दी काव्य-लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कर चयनित रचनाकारों को पुरस्कृत किया गया,जिसके अंतर्गत जिले के नवोदित रचनाकारों को हिन्दी साहित्य लेखन के प्रति प्रेरित किया गया!आगामी कार्यक्रम के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए छ.ग.हिन्दी साहित्य भारती गरियाबंद के जिलाध्यक्ष श्री मुन्नालाल देवदास ने बताया कि आगामी 15 अगस्त, संत कवि तुलसीदास जयंती,एवं पवित्र श्रावण मास के अवसर पर विविध कार्यक्रम आनलाइन एवं आफलाइन काव्य-गोष्ठी आयोजित किए जायेंगे!तथा नवोदित रचनाकारों के लिए प्रशिक्षण,के साथ-साथ हिन्दी काव्य संग्रह के प्रकाशन की योजना बनाई गई है!उन्होंने बताया कि हिन्दी भाषा के अधिकारों के लिए जिले के समस्त रचनाकार संकल्पित हैं कि मातृभाषा हिन्दी को जन-जन तक पहुचाएंगे!
वहीं जिले के कवि/साहित्यकार कमलकिशोर ताम्रकार,उमेश श्रीवास “सरल”अवतार सिन्हा”अंगार”एवं सतोष कुमार सोनकर ने भी जिले के कलमकारों एवं गणमान्य नागरिकों से अपील किया है कि वे जब भी कहीं भी हस्ताक्षर करें तो हिन्दी भाषा में करें तथा हिन्दी भाषा के संवैधानिक अधिकार के रक्षा के लिए पत्र-लेखन का हिस्सा बनकर महामहिम राष्ट्रपति जी को पत्र लिखें!

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