लोकेश्वर सिन्हा गरियाबंद
गरियाबंद जिला के देवभोग ब्लॉक के अमाड़ एवं रताखंड डायवर्सन में हुए गड़बड़ी की शिकायत प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने कलेक्टर से किया था, दल भी गठित हुई,15 दिनों में कार्यवाही का सरकारी ढिंढोरा भी पिट दिया गया, पर नतीजा सिफर रहा। न तो जांच हुई न कार्यवाही।ऐसे में अब सवाल नेता पर उठाए या अफसर पर या फिर उस ठेकेदार पर…?
भाजपा सरकार के समय हुए कार्य पर सवाल उठाने का यह मामला नहीं था, इससे पहले भी अभनपुर विधायक धनेंद्र साहु ने विधान सभा पटल पर जिले में पीस वर्क के आड़ में किये गए करोड़ों के फर्जीवाड़ा का मामला उठाया पर उसका भी नतीजा सामने नहीं आ सका।
दात तो अंगद की तरह पांव जमाने वाले कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद के पी.के. आंनद की देनी पड़ेगी, जो पिछली सरकार से जमाये तो अब तक जमा ही हुआ है।
जब मामले की जानकारी सूचना का अधिकार से मांगा तो, जो जवाब मिला चौकाने वाला था। कलेक्टर ने एक तरफ पीएचई व पीडब्ल्यूडी के ई ई को जांच अधिकारी नियुक्त किया था, पर जवाब में यह जानकारी देने के बजाए, आवेदन को उस विभाग को अंतरित कर दिया जिसके खिलाफ शिकायत हुई थी…. ये भी ढाई-ढाई साल के फंडा की तरह एक अजूबा ही है।