एक ही बारिश में ढहे गौठान ने खोली भ्रष्टाचार की पोल…दोषी सरपँच,सचिव व इंजीनियर को बर्खास्त करे प्रशासन… साथ ही करे गौठान निर्माण खर्च की पूरी वसूली

दो दिन पूर्व ही सड़कों पर आवारा घूम रहे पशुओं को गौठान में रख उनके चारा पानी की व्यवस्था की मांग उठाई थी सतीश पारख ने…

पूरे प्रदेश में गौठानों का बुरा हाल…ना पशु…ना चारा …ना पानी…सिर्फ जनता के पैसों की बर्बादी

भिलाई। पहली ही बारिश में उड़े दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के ग्राम जंजगिरी जो की प्रदेश सरकार के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का ना सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र है बल्कि उनके ग्राम पाउवारा से लगा गाँव व दुर्ग जनपद के अध्यक्ष देवेन्द्र देशमुख का गृह ग्राम है। जहां पहली ही बारिश में ढहे गौठान की गुणवत्ता व निर्माण में व्याप्त भ्र्ष्टाचार की पोल खोल कर रख दी है । गौठान सहिंत नरवा गरवा घुरवा बॉडी सहिंत गोबर खरीदी में सिर्फ और सिर्फ भ्र्ष्टाचार का खेल चल रहा है जिसमे निर्वाचित प्रतिनिधियों सहिंत अधिकारियों की मिलीभगत को नकारा नही जा सकता ।
गाँव गाँव मे गौठानों के नाम लाखों की बर्बादी की गई जिन गौठानों में ना पशु ना चारा ना पानी किसी का कोई ठिकाना नही है बल्कि इसकी व्यवस्था हेतु मिलने वाली धनराशि भी भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ रही है उक्त आरोप जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के दुर्ग जिला ग्रामीण अध्यक्ष सतीश पारख ने पंचायत सरपंच, सचिव, संलग्न इंजीनियर, सहिंत जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों व कार्यपालन अधिकारी पर लगाये हैं।
उन्होंने सरकार की इस महती योजना के धराशायी होने पर संलग्न अधिकारियों के बर्खास्तगी की मांग की है ।

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही शहरों व ग्राम की सड़कों पर आवारा भूखे प्यासे घूम रहे मवेशियों को कॅरोना काल के चलते इन गौठानों में रखने व उनके चारा पानी के व्यवस्था की मांग उन्होंने प्रशासन व सरकार से की थी।और पहली ही बारिश में इस योजना ने ढह कर भृष्टाचार की पोल खोल दी है जिस पर जिम्मेदारों पर कार्यवाही तय कर तत्काल बर्खास्तगी की कार्यवाही होनी चाहिए।

इस गौठान के ढहने पर जिला पंचायत अधिकारी द्वारा इसे प्राकृतिक आपदा कहकर भ्र्ष्टाचार को छुपाने का आरोप पारख ने लगाया कि इस तरह की बातें कहकर पंचायत अधिकारी अपना जुर्म छिपा नही सकते ।जो स्पष्ट दिखाई दे रहा है।उन्होंने कहा की यदि यह प्राकृतिक आपदा होती तो ओर भी जन धन की हानि होती सिर्फ गौठान नही ढहता। यह तो गनीमत है कि गौठान में पशु नही थे नही तो पशुधन की हानि भी होती फिर भी अधिकारी यूँ ही बहाने बना अपने मातहत अधिकारियों के भ्र्ष्टाचार को छिपाने ओर उन्हें बचाने का प्रयास करने से बाज नही आते।

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