खनिज विभाग और मुरूम माफिया की मिलीभगत….रवेली में एनजीटी के सारे नियमो को ताक में रखकर मुरूम की खुदाई,हरे भरे पेड़ों को माऊंटचैन से चढ़ाई जा रही बलि

  • लाक़डाउन में रायलटी की चोरी कर शासन को पहुंचा रहे लाखो की हानि
  • जनपद पंचायत के जिम्मेदार जनप्रतिनिधी भी मुरूम खनन में है संलिप्त

परमेश्वर कुमार साहू , गरियाबंद

गरियाबंद। जिले मे पदों पर बैठे जिम्मेदारो और अमीर लोगों पर कोई भी कानून कायदा लागू नहीं होता है।जिसके कारण इन्हें खुलेआम चोरी कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की खुली छूट और लायसेंस मिल गया है।नतीजन कोविड 19 के कारण लाकडॉउन में विभागीय अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर सारे नियमो को ताक में रख कर मुरूम खुदाई कर बिना रायल्टी के हजारों ट्रीप परिवहन कर शासन को लाखो करोडों का राजस्व क्षति पहुंचा रहा है।इस पूरे मामले में खनिज विभाग व क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

मुरूम माफियों को रायलटी चोरी करने की खुली छूट

गौरतलब है कि जलसंसांधन विभाग गरियाबंद अन्तर्गत पांडूका सहित विभिन्न सब डिवीजन में करोड़ों अरबों की लागत से नहर लाइनिंग का काम चल रहा है।जिसके लिए मुरूम की जरूरत पड़ी तो क्षेत्र के जिम्मेदार पद पर बैठे जनप्रतिनिधि ही मुरूम के ठेकेदार बन गए और खनिज विभाग द्वारा इन्हें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने व रायलटी की चोरी सहित सारे नियमो की धाज्जिय उड़ाने खुला छूट दे दिया गया है।

बताना लाजमी है कि गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर व छुरा ब्लाॅक के सीमा पर ग्राम गाड़ाघाट, सांकरा,रवेली के बीच चारो तरफ हरे भरे पेड़ पौधों से घिरा हुआ जंगल था। जंहा वण्यप्रानी स्वतंत्र रूप से विचरण करते थे।वहीं यह जंगल ,जंगल सफारी की तरह सड़कों से गोल घिरा हुआ है।जो बरबस ही लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता था।आसपास के ग्रामीणों ने इसे कई वर्षों से सहेज कर रखा था।जिसमें आस पास के ग्रामीण गार्डन की तरह लुफ्त भी उठाते थे।लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और भक्षक खनिज विभाग ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचने जिस तरीके से हजारों पेड़ पौधों की बलि चढ़ाई की ,पर्यावरण प्रेमी सहित आम नागरिकों के हृदय को काफी कुठाराघात हुआ है।मुरूम माफियों द्वारा मऊंटचैन से हजारों पेड़ पौधों को धराशाई कर मुरूम की खुदाई कर ,बिना रायलटी के नहर में परिवहन किया जा रहा है।माउंटचैन से उजड़े हुए जंगल हर उस राहगीर को सोचने पर मजबुर कर दिया कि आखिर जब जनप्रतिंनिधि और प्रशासन जब एक पेड़ लगा सकता नहीं तो फिर हजारों पेड़ो की बलि क्यों ? ये सवाल हर लोगो के जेहन में उठ रहा है ।लेकिन एक ऐसा नियम जो लोगो के जुबान को बंद कर रखा है।

जी हां हम आपको इसी से जुड़ी एक दिलचस्प बात बता रहे है।जिस जगह पर हजारों पेड़ पौधे जो प्राकृतिक रूप उगे थे ।वह जगह रवेली के कुछ किसानों का अधिकृत जमीन बताया जा रहा है।पेड़ पौधों से घिरे जंगल में किसानों का अधिकृत जमीन है ,इस बात को लोग पचा भी नहीं पा रहे है।शासन प्रशासन का नियम रहा है कि उन किसानों को ही अधिकार पत्र प्रदान किया जाए जो अपने काबिज जमीन पर कास्तकारी कर रहा हो,किसानों के पास कास्तकारी हेतु दस्तावेजी व मौके पर प्रमाण हो।लेकिन हजारों बड़े बड़े पेड़ पौधों के बीच रवेली के किसानों को भू अधिकार पत्र किस पर्यावरण भक्षक ने अधिकार पत्र दिया ये सबसे बड़े जांच का विषय है।तो वहीं किसान कह रहे है कि लगभग 30 साल पहले उन्हें भू अधिकार पत्र मिल चुका है।जबकि 30 साल पहले तो उक्त स्थल घनघोर जंगल रहा होगा।जिस पर लोग तरह तरह के सवाल कर रहे है और प्रशासन को कोस रहे है।सवाल ये भी है कि क्या तत्कालीन जिम्मेदार द्वारा पैसों कि लालच में जंगल को ही बेच दिया ?लेकिन आज पर्यावरण को इतने बड़े क्षति पहुंचने के बावजूद भी समाचार पत्रों में सुर्ख़ियो में रहने वाले जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ,और अपने आपको सामाजिक कार्यकर्ता कहलवाने वाले बुद्धिजीवी और नेता जी कन्हा चले गए।जब हजारों पेड़ पौधों को बकरे की तरह जब बलि चढ़ाया जा रहा है। कन्ही ऐसा तो नहीं कि मुरूम माफिया द्वारा सबकी जेब गर्म कर दिए हो।

आपको बता दे की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सख्त निर्देश है कि जहा मुरूम व रेत खुदाई से अगर पर्यावरन की क्षति हो रहा हो तो वहा किसी भी प्रकार से खुदाई के लिए परमिशन न दिया जाए।ऐसे में खनिज विभाग गरियाबंद द्वारा अपने निज स्वार्थ के लिए हरे भरे हजारों पेड़ पौधों को खत्म करने मुरूम खुदाई के लिए परमिशन देना बहुत सारे सवालों को जन्म दे रहा है।खनिज विभाग द्वारा कमिशन के चक्कर में पर्यावरण के सारे नियमो को ताक में रखकर परमिशन देकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे है।
आज जिस तरह से रवेली में मुरूम खुदाई के नाम पर जो हरे भरे हजारों पेड़ो की बलि चढ़ाई जो गया है इसकी भरपाई असंभव है।

आपको बताना लाजमी होगा की रवेली में मुरूम खुदाई के लिए गौरव पटेल को विभाग द्वारा परमिशन दिया गया है।लेकिन इस पूरे खेल में जनपद पंचायत फिंगेश्वर के उपाध्यक्ष योगेश साहू जो जिम्मेदार पद पर है उनकी मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता।इस मामले को लेकर जब पड़ताल किया गया तो हर तरह से जनपद पंचायत फिंगेश्वर के उपाध्यक्ष का नाम सामने आया।योगेश साहू कांग्रेसी नेता भी है। जो आज सत्ता का दुरुपयोग करते हुए खुद मुरूम खुदाई जैसे कार्यों में संलिप्त है । वहीं मुरूम से लोडिंग 2 दर्जन से अधिक हाईवा गाड़ी में रायाल्टी का पड़ताल किया गया लेकिन लगभग 36 मुरूम से लोडिंग हाईवा जो मुरूम से भरा था उस एक भी गाड़ियों में रायल्टि नहीं मिला।इससे साफ जाहिर होता है कि ओहदे पदों पर बैठे जिम्मेदारो द्वारा खुलेआम शासन के नियमो की ठेंगा दिखाते हुए रायलटी की चोरी कर शासन को लाखो रुपए की राजस्व की हानि पहुंचा रहे है।जब इस मामले पर खनिज विभाग के निरीक्षक मृदुल गुहा को फोन से जानकारी दिया तो उन्होंने तबियत खराब होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ दिया और जांच करने की बात किया।

आपको एक फिर बताते चले कि जब मुरूम से लोड हाईवा का हमारे संवददाता द्वारा रायलटी चेक किया गया तो एक भी वाहनों में पिटपास नहीं मिला।वहीं एक ड्राइवर ने तो रायलटी पूछने पर कहा की हम पत्रकार और पुलिस को पीट पास नहीं दिखाते है केवल खनिज विभाग को दिखाते है लेकिन आखिरकार उन्होंने भी इस बात की स्वीकार किया कि उनके पास मुरूम परिवहन संबंधी कोई पीटपास नहीं है।इससे तो साफ जाहिर होता है कि खनिज विभाग और मुरूम माफियों के बीच तगड़ा सेटिंग है।जिसके वजह से रायलटी चोरी का खेल बड़े जोर से चल रहा है।

बताना लाजमी होगा की 15 साल के बाद सत्ता में आई कांग्रेस के नेता को मानो पैसों के लाले पड़े थे जिसके कारण उनके कार्यकर्ता मुरूम खुदाई व अन्य अवैध कार्यों में संलिप्त होकर सरकार को ही चुना लगाने में तुले हुए है ।वहीं सरकार का अवैध कार्यों पर लगाम भी नहीं है
। जिसके चलते गरियाबंद जिले में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है। तो मुरूम माफियों के गुर्गे खुलेआम कह रहे है कि तुम्हारे जैसा पत्रकार कितनो देखा हूं ,तुम हमारा कुछ नहीं कर सकते । जावो जो छापना है छाप लो।ये सब क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों और भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षण के वजह से हो रहा है।जिसके कारण बड़ा काम और बड़ा घोटाला का काम इन दिनों जोरों पर चल रहा है।

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