खेतो मे पढ़े पैरा को नहीं जलाने जन जागरुकता रथ, ग्रामीणों ने गौठान मे पैरादान की नई परम्परा की शुरुआत

पाटन.क्षेत्र के ग्रामीण किसान अब शासन के द्वारा चलाये जा रहे जन जागरुकता रथ से जागरुक होते हुए ।अपने पैरा को गौठानो में दान कर रहे है जिससे जानवरों को उपयुक्त चारा मिले व पराली जलाना न पड़े और पर्यावरण प्रदुषण से भी बचा जा सके ।इसके लिए छत्तीसगढ शासन के तरफ से गाँव गाँव में जन जागरुकता रथ के माध्यम से प्रचार कर रही है । किसान के खेतों में फसलों के कटाई के बाद जो पैरा होता है उसे अधिकतर किसान खेत में ही जला दे ते थे ,जिससे वायुमंडल तो गंदा होता था लेकिन आग लगने का खतरा मंडराया करता था, लेकिन पाटन क्षेत्र के गांव के किसानों  अब मिशाल  मिशाल पेश कर रहे  है,।ग्राम सेलूद के किसान महेश्वर बंछोर राजकुमार यादव, प्यारेलाल साहू ,दऊवा राम वर्मा, देवादा के किसान महेन्द्र वर्मा ने  किसानो व ग्रामीणों ने मिलकर  संकल्प लिया है कि उन पैरों को गौठान या गौशाला में दान किया जाएगा, ताकि जानवरों को आसानी से चारा मिल जाएगी और चरवाहे को ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा,ग्रामीणों ने पैरादान करने की पहल से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाये जा रहे नरूवा,घुरूवा ,गरूवा,बारी को बचाने की मुहिम को गति मिलेगी । किसान आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करने से खेतों के उत्पाद का सही उपयोग कैसे करे यह परेशानी बन गया है ।हारवेस्टर और थ्रेशर से मिंजाई कार्य करने से खेत में ही पैरा छुट जाता है किसान उस पैरे को आग लगा देते थे ।लेकिन उससे उठने वाले धुएं ठंड होने के कारण नमीयुक्त होकर ऊपर नही उठ पाते थे और आसपास नीचे ही फैल  जाते थे ।इससे वातावरण प्रदुषित होना शुरु हो गया था इसी बात को ध्यान रखकर किसानों ने अपने पैरे का सही उपयोग करना शुरु कर दिया है। साथ ही छत्तीसगढ सरकार द्वारा जन जागरुकता रथ के माध्यम से ग्रामीण किसानों को पैरे को  न जलाते हुए इसे गौठान में दान करने का कार्य कर रहे है ।

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