दुर्ग। जिला के धमधा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम मुर्रा स्थित है। जहाँ की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। यहाँ के किसान मुख्यत: दोनों मौसम मे खेती कर के अपना जीवन यापन करते है। किसान खरीफ मे धान की खेती और रबी मे चना, गेहु और सब्जी की खेती करते है। इसी गाँव मे मनोज साहू नाम का किसान रहता है जिनकी शिक्षा 10वी तक है तथा उनके परिवार मे 4 सदस्य है जिनमे किसान, उनकी पत्नी और दो बच्चे है। किसान अपनी परिवारिक खर्च किसानी और रोजी मजदूरी के माध्यम से चलाते है। किसान के पास ढाई एकड़ जमीन है जिसमे वो खरीफ मे धान की खेती व रबी मे गेहु और सब्जी की खेती करते है, तथा उनकी धर्म पत्नी खेती के कार्य मे उनका पूर्ण सहयोग करती है। किसान सुबह खेती कार्य करने के बाद मजदूरी करने निकल जाता है। मनोज को खेती कार्य मे बहुत सारी समस्याओ का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष कोरोना काल मे जब सब घर मे थे तब मनोज को रिलायंस फ़ाउंडेशन के कार्यकर्ता द्वारा पता चला की रिलायंस फ़ाउंडेशन द्वारा खेती से जुड़ी कॉन्फ्रेंस कॉल का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे उनके द्वारा किसान को कॉन्फ्रेंस कॉल मे जुडने की सलाह दी गयी। किसान द्वारा आडिओ कॉन्फ्रेंस के मधायम से कृषि विज्ञान केंद्र पाहन्दा से कृषि वैज्ञानिक डॉ ईश्वरी साहू से नर्सरी कैसे तैयार करना है उसके बारे मे जानकारी लिया गया तथा वैज्ञानिक द्वारा बताया गया की धान की नर्सरी बनाने के लिए छनी हुई गोबर की खाद, छनी हुई रेत और बरगद पेड़ के नीचे की मिट्टी को मिलाकर मिश्रण बनाए। धान की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले जिस स्थान पर नर्सरी तैयार करना है वहाँ पर आप झिल्ली को छेद करके बिछा दे तथा उनके ऊपर जो मिश्रण बनाये है उनको डाल दे और मिश्रण के ऊपर धान को डाले तथा उसके ऊपर थोडा गोबर खाद फिर से डाले और पैरा से ढक दे, जिससे की चिड़िया भी धान को नही खा पायेगी तथा नर्सरी मे सिंचाई करने के लिए पानी को प्लास्टिक पानी बॉटल में छेद करके या हजारा से डाले जिससे पौधो को पानी भी सही मात्रा में मिलेगा और पानी अधिक भर जाने का डर भी नहीं होगा, जिससे नर्सरी भी जल्दी तैयार होगा।
वैज्ञानिक के सलाहनुसार, मनोज ने ढाई एकड़ मे धान की हाइब्रिड किस्म की नर्सरी तैयार किए तथा उनके बताए अनुसार धान की रोपाई किए जिसे उनका धान का कुल उत्पादन 46 क्विंटल हुआ तथा उनको पिछले वर्ष की तुलना मे 3 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से अधिक उत्पादन हुआ। धान के उत्पादन मे उनका कुल खर्च 17400 रुपये हुआ, तथा उन्होने धान को मंडी मे 2500 रुपये प्रति क्विंटल से बेचा जिसमे उनको 97600 रुपये का मुनाफा हुआ।
इन पैसो का कुछ हिस्सा उन्होने अपने दोनों बेटियो के भविष्य के लिए प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना मे निवेश किये। किसान ने इस मूल्यवान जानकारी के लिए रिलायंस फ़ाउंडेशन और कृषि विज्ञान केंद्र पाहन्दा का आभार व्यक्त किया।