दुर्ग.ग्राम कोड़िया में इस बार 25 किसानों ने सरसों की फसल बोई है। यह पहला मौका है जब कोड़िया के किसानों ने सरसों की फसल लगाई है। उनके खेतों में कहीं-कहीं पूरी सरसों और कहीं-कहीं पर क्रास बार्डर में सरसों की खेत नजर आ रही है। कौड़िया की सरहद पहुंचते-पहुंचते पूरी फिजा में बासंती रंग भी बिखरता नजर आता है। ग्राम कोड़िया के किसान सुनील साहू ने बताया कि बीएसपी के पर्सनल विभाग से रिटायर होने के पश्चात होने अपनी परती पड़ी जमीन को ठीक करने के लिए सोचा और इस पर कार्य किया। कड़ी मेहनत कर जमीन को ठीक किया और धान की फसल लगाई। रबी के मौसम के अनुकूल कम पानी और कम लागत पर हो जाए, ऐसी फसल के विकल्प के लिए एआरईओ श्रीमती हंसा साहू से हुई चर्चा के पश्चात इस बार सरसों की फसल लगाई। फसल उन्होंने 20 दिसंबर को लगाई और अब इस पर फूल नजर आने लगे हैं। सरसों का पीरिएड लगभग 60 दिनों का होता है और अब फसल तैयार होने को है। श्री साहू ने बताया कि खेती में नवाचार अच्छा लगता है और बहुत से किसानों ने सरसों की फसल ली है। इस बार कहीं-कहीं पर क्रास बार्डर और कहीं पर पूरी सरसों की फसल ली, अगली बार रबी में पूरी फसल सरसों की ही लेंगे। अहिवारा क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी एबी राम ने बताया कि हम लोगों ने बताया कि रबी फसल में सरसों में काफी कम लागत लगती है। पानी भी लगभग एक तिहाई लगता है और इस बार बारिश हुई तो पंप से पानी भी नहीं देना पड़ा। इस प्रकार पानी के मामले में और देखरेख के मामले में इस फसल को काफी पानी की जरूरत है। उत्पादन भी सरसों का प्रति एकड़ लगभग आठ क्विंटल तक होता है। एक क्विंटल का बाजार दर पांच हजार रुपए लें तो यह लगभग 40 हजार तक होता है। हम लोगों ने सरसों का किट किसानों को प्रदान किया है। लेबर भी जो गेहूँ में काम कर रहे हैं वे ही सरसों में लगे हैं। गांव के ही विद्याभूषण एवं छन्नू साहू ने बताया कि इस बार उन्होंने भी पहली बार सरसों लिया है। सब मिलकर अगर रबी फसल में सरसों लें तो इसके तेल निकालने की संभावनाओं पर काम भी कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर अंकित आनंद एवं जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार लगातार रबी फसल में वैविध्य पर जोर दे रहे हैं। उप संचालक कृषि अश्विनी बंजारा ने बताया कि रबी में जिले के किसानों को तिलहन जैसे कैश क्राप की ओर प्रेरित करने के लिए लगातार कृषि विभाग के अधिकारी किसानों से चर्चा कर रहे हैं और उन्हें कृषि वैविध्य के लाभ बता रहे हैं।
*रबी फसल की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण कंपोनेट है नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी का-* उल्लेखनीय है कि नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के अंतर्गत बनाये जा रहे गौठान और चारागाहों का मुख्य लक्ष्य मवेशियों को पर्याप्त संख्या में चारा उपलब्ध कराना है ताकि खड़ी फसल की रक्षा की जा सके। इसके अभाव में रबी फसल को बचा पाना कठिन होता है। इसके साथ ही गौठानों में जो कंपोस्ट खाद का उत्पादन होगा, उससे जैविक खेती की राह भी बढ़ेगी।