नारी की अस्मिता समाज के लिए महत्वपूर्ण है – डॉ. राधा पांडेय


छुरा…आईएसबीएम विश्वविद्यालय में नारी शक्ति को जागृत करने तथा उनकी उपलब्धियों को याद करने एवं उन्हें सम्मान दिलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 8 मार्च को कला एवं मानविकी संकाय के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘नारी सशक्तिकरण’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए तथा इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बी पी भोल, कुलसचिव, आईएसबीएम विश्वविद्यालय ने कहा कि महिलाओं की अस्मिता को बनाये रखने में विश्वविद्यालय अग्रणी रहा है।यह उन महिलाओं की प्रशंसा करने का दिन है जो व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं। इसी क्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. आनंद महलवार ने इस संगोष्ठी में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। कई लोगों के लिए, महिलाओं की भूमिका केवल घरेलू कामों तक ही सीमित है। हालांकि, इसे बदलने की जरूरत है क्योंकि महिलाओं को पुरुषों की तरह हर चीज में समान स्वतंत्रता और अवसर मिले। मुख्य वक्ता शास. संस्कृत महाविद्यालय रायपुर की प्राचार्य डॉ. राधा पांडेय ने कार्यक्रम के उद्देश्य बताते हुए कहा कि महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त है। नारी की अस्मिता समाज के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं को हर क्षेत्र में सशक्त होना होगा। दुनिया लैंगिक समानता की ओर बढ़ रही है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच संतुलन की ओर बढ़ रहा है। एक परिवर्तन आवश्यक है। यह देखा गया है कि उम्र के मुकाबले महिलाओं की तुलना में पुरुषों को जीवन के हर क्षेत्र में अधिक लाभ हुआ है। हालांकि, इसमें बदलाव की जरूरत है क्योंकि हम सभी इंसान हैं और समान अधिकारों और अवसरों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
श्रीमती विद्या मधुसूदन व्यास, पूर्व सदस्य, जिला उपभोक्ता फोरम ने महिला दिवस मनाने के इतिहास एवं अपने व्यक्तिगत विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि संसाधनों की कमी में भी नारी को राह बनाना चाहिए। समाजसेवी रिचा उपाध्याय ने कहा कि हम सब मिलकर एक समावेशी दुनिया बना सकते हैं। हर महिला को आगे बढ़कर अपनी शक्ति को पहचानना चाहिए। कलिंगा विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. एम. एस. मिश्रा ने महिलाओं पर होने वाले विभिन्न सामाजिक समस्याओं का उल्लेख किया। उपकुलसचिव शशि खुटिया ने नारी के महत्व का वर्णन किया। विश्वविद्यालय के प्रो. खेमराज चंद्राकर ने प्रश्न करते हुए कहा कि जब प्रकृति ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया तो समाज को यह अधिकार किसने दिया है। वेबिनार के चेयरपर्सन डॉ. एन के स्वामी ने कार्यक्रम का संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत किया। अंत में विश्वविद्यालय के प्रो. गरिमा दीवान ने सभी महिलाओं की तरफ से कार्यक्रम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।इस ई-संगोष्ठी के संयोजक कला एवं मानविकी संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय वेबिनार मे 311 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया तथा ऑनलाइन जुड़े। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. ममता देवांगन ने किया। उक्त संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ.संदीप साहू,प्रो.डायमंड साहू,प्रो.प्रीतम साहू,प्रो.योगेश कुमार साहू,प्रो.अश्विनी कुमार साहू प्रो.दिपेश निषाद एवं प्रो.प्रवीण कुमार यादव सहित विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा।

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