देवरीबगला। सुरसुली स्थित नर्मदाधाम में भक्ति और शक्ति का प्रतीक माघी पुन्नी मेला मे श्रद्धालुओ ने ब्रह्ममुहर्त में पहुंचकर पवित्र कुंड में श्रद्धा और आस्था की डुबकी लगाई।
श्रद्धालुओ का इस मेले में सुबह से ही पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं ने सुबह 4 बजे से ही पवित्र नर्मदा कुंड में स्नान करना शुरू कर दिया था। और आस्था के साथ श्रद्धालुओ ने बड़ी संख्या में पहुंचकर स्नान ध्यान कर पूजा अर्चना किया। इसके पूर्व रात्रि में श्रद्धालुओं ने छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम लहर गंगा का लुफ्त उठाया।
मंदिरों में हुआ पूजा पाठ
इसके साथ ही नर्मदाधाम के मंदिरों में पूजा पाठ का दौर भी चलता रहा। श्रद्धालुओ ने पहले नर्मदा कुंड में स्नान किया और फिर वही शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। ततपश्चात श्रद्धालुओ ने राम दरबार,गणेश,हनुमान, भक्त माता कर्मा और दुर्गा मंदिर मैं दर्शन किए। नर्मदा कुंड में स्नान और मंदिरों में पूजा अर्चना का दौर दिनभर जारी रहा। माघ पूर्णिमा पर श्रद्धालु बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
नर्मदाधाम माघी पुन्नी मेला में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते है। श्रद्धालुओ की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए थे। देवरी पुलिस के टीआई ने स्वयं इसकी कमान संभाली। संसदीय सचिव व विधायक कुंवर सिंह निषाद ने स्वयं समिति की बैठक लेकर दो दिवसीय मेले की व्यापक तैयारी की थी।तथा मौके पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था देखी। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संसदीय सचिव व विधायक कुंवर सिंह निषाद तथा जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य चंद्रप्रभा सुधाकर की गरिमामय उपस्थिति में हुआ। दो दिवसीय माघी पुन्नी मेला में शुक्रवार शाम को अर्जुंदा के लोक कलाकार पुराणिक साहू का रंगारंग कार्यक्रम लहर गगा का आयोजन हुआ।
धार्मिक मान्यता
अनादिकाल से सुरसुली के नर्मदाधाम की पहचान एक धर्मिक नगरी के रूप में रही है। मान्यता के अनुसार यहां माता नर्मदा साक्षात विराजमान है। जो एक कुंड से अवतरित हुई है। साक्षात मां नर्मदा ने दर्शन देकर फरदफोङ के एक भक्तों को वरदान दिया।इस के कारण इस स्थान की महत्ता औऱ भी बढ़ गई है।
सदियो से लगता आ रहा है मेला
नर्मदा धाम माघी पुन्नी मेला यहां शदियो से लगता आ रहा है। समीप में खरखारा नदी के संगम तट पर यहां हर साल माघ पूर्णिमा में भव्य मेले का आयोजन होता है। जिसमे कई प्रदेशो से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है।
कोरोना का डर
इस बार भी यहां बड़ी संख्या में साधु संतों और श्रद्धालुओं के पहुंचने से कोरोना का डर बना रहा । कोरोना महामारी के कारण प्रशासन और श्रद्धालु दोनो चिंतित थे। मेले में पहुंचने वाली भीड़ से कोरोना नियमो का पालन करना जहां प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। मान्यताओं को बरकरार रखना श्रद्धालुओ के लिए एक बड़ा चलेंज था।