? ब्यूरो रिपोर्ट विक्रम कुमार नागेश गरियाबंद
देवभोग। ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 36 गांव को जोड़ने वाली कुम्हड़ई घाट पर पुल बनने के बाद लोगों ने राहत की सांस तो जरूर ली लेकिन विश्व में प्रसिद्ध हीरा खदान के नाम से विख्यात सेंदमुड़ा तेल नदी घाट पर भी पुल की सख्त जरूरत थी जिसको लेकर इस गांव के लोगों ने भी अनेकों बार शासन प्रशासन से मांग किया था लेकिन वह मांग अधूरी की अधूरी रह जाती थी लेकिन प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद ग्रामीणों की सपना पूरा होता दिख रहा है विश्व में अपनी छत्तीसगढ़ को पहचान दिलाने वाली बहुमूल्य हीरे का खदान सेंदमुड़ा घाट पर तेल नदी की वजह से जल स्तर बढ़ जाता था जिसके कारण इस क्षेत्रवासियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता था एवं बारिश के दिनों में 18 किलोमीटर दबनई – कुम्हड़ई – दहीगांव होते हुए ब्लाक मुख्यालय पहुंचना पड़ता था जबकि सेंदमुड़ा गांव से ब्लाक मुख्यालय का दूरी महज 7 किमी की दूरी पर स्थित है लेकिन तेल नदी पर पानी की तेज बहाव से संपर्क टूट जाता था व सेंदमुड़ा , मोटरापारा ,खोखसरा ,सुपेबेड़ा के ग्रामीणों को 18 किमी दूरी तय कर देवभोग ब्लाक मुख्यालय पहुंचना पड़ता था इन्ही मांग को लेकर सेंदमुड़ा ,सुपेबेड़ा ,परेवापाली ,खोखसरा ,मोटरापारा सागौनभाड़ी के ग्रामीणों ने तेल नदी पर पुल की मांग पर अड़ गए एवं लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था इन सभी मांग को पुनः महामहिम राज्यपाल अनुसुइया उइके के प्रवास के दौरान ध्यानाकर्षण करवाया था जिसके बाद राज्य की भुपेश सरकार ने गंभीरता से लेते हुए पुल बनाने के लिए बजट प्रदान किया ,तेल नदी पर पुलिया बनने से इन ग्रामीणों ने अब राहत की सांस लिया है व प्रदेश की भुपेश सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है ।