बेमेतरा । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी का प्रसारण कल 14 फरवरी को किया गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल लोकवाणी में उपयोगी निर्माण, जनहितैषी अधोसंरचनाएं, आपकी अपेक्षाएं विषय पर प्रदेशवासियों से बात की। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक किया गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल की उपयोगी निर्माण, जनहितैषी अधोसंरचनाएं, आपकी अपेक्षाएं विषय पर आयोजित मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी को बेमेतरा जिले के नागरिकों और बच्चों ने भी उत्साह पूर्वक तन्मयता से सुना।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी में कहा कि राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में महिला स्व सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली का नए रास्ते बनाने की शुरूआत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहें हैं। राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रदेश की नई जल संसाधन नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप बनाया है। इसी तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, कृषि शिक्षा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है, जिससे स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडिशन से उत्पादन का रास्ता बने। युवाओं में उद्यमिता का विकास हो और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलंे। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय विकास को गति देने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं से रू-ब-रू होते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया है। नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है। गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं।
श्री बघेल ने कहा कि हमने ‘मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना’ लाई, जिसके तहत लगभग 2200 ऐसी सड़कें बना रहे हैं उन्होंने कहा कि बिजली में भी हमने ऐसा ही किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मानव विकास की जिस अधोसंरचना के निर्माण का सपना देखा है, उसकी हमारे प्रदेश के ग्रामीणों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग, कमजोर और मध्यम वर्ग, माताओं, बहनों, बच्चों, जवानों की आंखों में दिखने लगी है और इसी चमक के रास्ते से पूरा प्रदेश, एक नई तरह की जगमगाहट पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को भविष्य में उत्पादक राज्य भी बनना है और उपभोक्ता राज्य भी, यही है हमारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़।