11 बार की वार्ता के बाद किसान हित में फैसला नहीं किया, एक फोन पर कैसे फैसला कर पाएंगे – राजेंद्र साहू

  • प्रधानमंत्री अपने बयान से आम जनता और किसानों को न भरमाएं
  • सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री का मोह पूंजीपतियों के लिए ज्यादा

किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी टूटने और एक फोन दूर होने के बयान पर कांग्रेस ने करारा तंज कसा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री राजेंद्र साहू ने कहा है कि जिस व्यक्ति ने नोटबंदी लागू करने में एक मिनट का समय भी नहीं लगाया। जिस व्यक्ति ने जीएसटी लागू करने में बिल्कुल समय नहीं लगाया। वही व्यक्ति दो माह से चल रहे किसान आंदोलन के बाद भी किसानों के फोन का इंतजार कर रहा है। यह देश के किसानों के लिए दुर्भाग्यजनक बात है।
राजेंद्र ने कहा कि पीएम कहते हैं कि वे किसानों से महज एक फोन की दूरी पर है, जबकि सच्चाई एकदम उलट है। राजेंद्र ने सवाल किया कि जब केंद्रीय कृषि मंत्री किसानों के साथ 11 बार बैठकर वार्ता कर चुके हैं तो फोन पर क्या निर्णय ले पाएंगे। प्रधानमंत्री को आम जनता या किसानों को दिग्भ्रिमित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। आम जनता विशेषकर देश भर के किसान यह जान चुके हैं कि भाजपा सरकार किसान और आम जनता के हित में कोई फैसला नहीं करेंगे।
राजेंद्र ने सवाल किया कि जब पीएम किसानों से एक फोन की दूरी पर हैं तो वे स्वयं किसान हित में निर्णय क्यों नहीं लेते। इससे साफ जाहिर है कि पीएम किसानों से एक फोन नहीं, बल्कि बहुत दूर हैं। भाजपा की नीतियां किसानों और आम जनता से दूर हैं। राजेंद्र ने कहा कि जीएसटी, नोटबंदी, मजदूरों के पलायन, कृषि कानून से पूंजीपतियों के हितों को बढ़ावा मिलेगा।
किसान आंदोलन शुरू हुए 60 दिनों से ज्यादा हो चुका है। किसानों की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है। किसान खुले बाजार में अपना अनाज नहीं बेच पा रहे हैं। इतना होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने किसान हित में एक शब्द तक नहीं कहा। इससे साफ हो गया है कि मोदी सरकार किसानों का हित चाहते ही नहीं।
गोडसे और सावरकर के मानने वाले लोग हैं। राजनीति करने का तरीका अलग है फूट डालकर राज करो, धर्म के आधार पर राज करने वाले लोग हैं। पूंजीपतियों को बढ़ावा देने वाले लोग हैं। किसानों के हित में निर्णय नहीं ले सकते। इनकी नीति पूंजीपतियों को बढ़ावा देने की रही है। भाजपा के लोग किसानों के हितों के बारे में इसलिए नहीं सोचते, क्योंकि उनका मोह पूंजीपतियों के लिए ज्यादा है।
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