लोहा ढालने वाले शहीद के परिजनों की लौह प्रतिज्ञा : अनुकंपा नियुक्ति नहीं तो अंत्येष्टि भी नहीं

पिछले 12 दिनों से मृतक परिवार, आदिवासी समाज व छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना की संघर्ष जारी है, एसडीएम ज्योति पटेल ने धमकी देते हुए कहा शव को ले जाओ वरना हम लोग क्रियाक्रम कर देंगे

“अपनी धमनियों के लहू को भिलाई की धमन भट्ठियों में जला कर अपनी अंत्येष्टि के लिये बारह दिन से तरस रहा एक अभागे कर्मवीर का मृत शरीर”

भिलाई : भिलाई इस्पात संयंत्र का हर एक श्रमिक लगातार विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए पत्थर को पिघलाकर इस्पात बनाता है। छत्तीसगढ़ सहित पूरा देश जिस भिलाई के लोहे पर गर्व करता है । इस्पात गढ़ने की प्रक्रिया में एक श्रमिक हर दिन अपना शरीर जलाकर मैनेजमेंट का लक्ष्य पूरा करता है, कारखाने के कठिन वातावरण में चोटों के अलावा अनेक असाध्य रोग भी आकर शरीर को लगते जाते हैं। बीएसपी में कार्य के दौरान कर्मठ श्रमिक कार्तिक राम ठाकुर भी किडनी रोग का शिकार हो गया। वह अपनी मृत्यु से पहले पत्र लिख-लिख कर प्रबंधन से गिड़गिड़ाता रहा कि मेरा शरीर मुझे जवाब दे रहा है, मुझे अब चिकत्सकीय विश्राम दिया जाय। प्रबंधन ने हमेशा की तरह कठोरता दिखाते हुए अपने आंख-कान बंद कर लिये। आखिरकार कार्तिक राम ठाकुर की दोनों किडनियां फेल हो गईं । विगत चार जनवरी को उसने प्राण त्याग दिये लेकिन मैनैजमेंट ने अपनी हठधर्मिता नहीं त्यागी। आज बारह दिन बाद भी मृतक का पार्थिव शरीर सेक्टर नाईन बीएसपी अस्पताल में पड़ा हुआ है, उस देह की पथराई हुई आंखें आज भी अपने अधिकारियों और जिला प्रशासन से एक छोटी सी मांग करती चीख रहीं हैं कि उसके जगह उसके शिक्षित बेसहारा बच्चे को नौकरी दे दी जाय जो कि न्यायसंगत और बीएसपी के नियमावली के तहत ही है।

श्रमिकों के पसीने की बदौलत हमेशा लाभ कमाकर इठलाने वाले बीएसपी प्रबंधन का निष्ठुर और संवेदनहीन चेहरा तब बुरी तरह बेनकाब हो जाता है जब उसका वही श्रमिक असमय काल के गाल में समा जाता है । अपनी तमाम प्रबंधकीय शक्ति और शातिराना चालों के साथ वह अपने ही बीच के मृतक साथी के आश्रितों के जायज अनुकंपा नियुक्ति को रोकने के लिये प्रशासन से मिलकर तमाम तरह के कपटपूर्ण हथकंडे अपनाने लगता है । खासकर उस समय जब मृतक एक छत्तीसगढ़िया हो, इस बार भी कार्तिक राम की मृत्यु को वे लोग किडनी फैलियर के बजाय कोरोना बताकर एक विभ्रम फैला रहे हैं जबकि मृतक के सभी कोरोना टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव आए थे। बीएसपी का कानून है कि हृदय और किडनी रोग से मृत्यु होने पर आश्रित को नौकरी देना ही है । इसीलिए अपनी चिकित्सकीय लापरवाहियों को छुपाने के लिये तमाम लीपापोती और षडयंत्र रचे जा रहे हैं ।

जिला प्रशासन भी अपने नागरिक और न्याय का साथ देने के बजाय बीएसपी प्रबंधन से गलबहियां डाले शोकाकुल पीड़ीत परिवार को ही धमका रहा है कि हम हाथरस कांड की पुनरावृत्ति करते हुए जबरदस्ती लाश को निकालकर अंतिम संस्कार कर देंगें, लेकिन इस बार बीएसपी प्रबंधन अपनी चालबाजियों में सफल नहीं हो पाएगा क्योंकि आज स्व. कार्तिक राम ठाकुर के साथ पूरा छत्तीसगढ़िया समाज खड़ा है, छत्तीसगढ़ के समस्त मूलनिवासी समाज और संगठन कलेक्टोरेट घेराव को नजरअंदाज किये जाने के बाद आगे के उग्रतर आंदोलनों की तैयारियों में लग चुके हैं । शहीद कार्तिक ठाकुर जी की बेवा पत्नी और उनके पढ़े लिखे बेसहारा बच्चे अपना हृदय कठोर करके प्रबंधन तथा जिला प्रशासन के अन्याय और निष्ठुर अत्याचार के खिलाफ बीच सड़क में अनशन पर बैठे हुए हैं , यह कहते हुए कि अपनी छत्तीसगढ़ की धरती पर जिस कारखाने के अस्तित्व को बनाने में घर के मुखिया ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उस कारखाने से हमारे खून-पसीने का अधिकार कोई बाहरी वेतनभोगी अधिकारी कभी खत्म नहीं कर सकता ।

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