कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और किसान आंदोलने से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर आज बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने एक कमेटी का भी गठन किया है. इसमें भूपिंदर मान सिंह मान, प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड, अशोक गुलाटी, एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट और अनिल धनवत, शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र को शामिल किया गया है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बड़ा सवाल है कि क्या किसान संगठन केंद्र सरकार की बनाई इस कमेटी के सामने पेश होंगे? क्योंकि किसान संगठनों की ओर से कल ही यह साफ कर दिया गया था कि कृषि कानूनों पर रोक का स्वागत है लेकिन हम किसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गणतंत्र दिवस बाधित करने की आशंका वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए. ऐसी जगह जहां प्रेस और मीडिया भी उन्हें देख सके. प्रशासन उसे दूर जगह देना चाहता है. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है. पुलिस शर्तें रखती है. पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है. क्या किसी ने आवेदन दिया? सिंह ने कहा कि मुझे पता करना होगा सुनवाई के दौरान हरिश साल्वे ने यह कहा कि आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस के बैनर भी लहरा रहे हैं. यह अलगाववादी संगठन है. अलग खालिस्तान चाहता है. इसपर सीजेआई ने पूछा कि क्या इसे किसी ने रिकॉर्ड पर रखा है? तो सॉलिसीटर जरनल ने कहा कि एक याचिका में रखा गया है. कोर्ट की कार्रवाई से यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शह दी गई है. सीजेआई ने कहा कि हम सिर्फ सकारात्मकता को शह दे रहे हैं भारतीय किसान यूनियन (भानू) के वकील ने कहा है कि बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे. उनकी इस बात पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं. किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे, भूषण, गोंजाल्विस स्क्रीन पर नज़र नहीं आ रहे हैं. कल दवे ने कहा था कि सुनवाई टाली जाए. वह किसानों से बात करेंगे. आज कहां गए? इसपर साल्वे ने कहा कि दुर्भाग्य से लगता है कि लोग समाधान नहीं चाहते. आप कमिटी बना दीजिए. जो जाना चाहते हैं जाएंगे