दुर्ग। दिवंगत वरिष्ट कांग्रेस नेता, अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री स्व मोतीलाल वोरा की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन शनिवार को दुर्ग के पद्मनाभपुर स्थित मिनी स्टेडियम में किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू सहित मंत्रीमंडल के सदस्य, विधायक व जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। स्व मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वोरा जी में सरलता, सहजता व सीखने की अद्भुत क्षमता थी। उनकी इसी क्षमता के कारण वे पत्रकार से पार्षद व संसद तक पहुंचे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोतीलाल वोरा के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो यह कहे कि वोरा जी ने उन्हें समय नहीं दिया। सबकी बातें सुनना, उनका जवाब देना, सबका सहयोग करना उन्हें संतुष्ट करना वोरा जी की विशेषता थी। वोरा जी का स्वभाव ऐसा था कि छोटे से छोटा व्यक्ति भी उनसे खुलकर बात कर सकता था वे उन्हें छोटा नहीं बल्कि बराबर का समझते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जब भी घर जाता था तो वह मिठाई भी खिलाते और पान भी खिलाते थे। वोरा जी जी समानता का भाव अपने में बनाए रखते थे जब भी वोरा जी से मैं मिलता था यदि दोपहर का समय होता था तो वह भोजन के लिए जरूर कहते थे हम साथ में बैठकर भोजन करते थे यदि रात को पहुंचे तो मिठाई खिलाते थे। वोरा जी के साथ उस समय कई मुद्दों पर हमारी बातें होती रही पार्टी के बारे में बातें होती रही छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर बातें होती रही। वह हमेशा प्रदेश के विकास को लेकर सार्थक चर्चा करते थे यह उनका बड़प्पन था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि वोरा जी हमेशा सार्वजनिक जीवन जीते रहे। समाज के सभी दायित्वों को जिम्मेदारी पूर्वक निभाया। चाहे पत्रकार के रूप में हो, पार्षद के रूप में हो, विधायक के रूप में हो, सांसद के रूप में हो, चाहे मुख्यमंत्री के रूप में हो, केंद्रीय मंत्री के रूप में हो या राज्यपाल के रूप में हर जगह उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह पूरी इमानदारी से किया। रात को कभी उनसे मिलने गए तो वे हमेशा लिखते पढ़ते ही मिले। काम के प्रति उनकी निष्ठा अद्भुत थी। दिन भर काम करने के बाद भी उनमें थकान जरा भी नहीं दिखती थी। ऐसा ऊर्जावान व्यक्तित्व था। सीएम बघेल ने कहा कि उनके साथ कई सारे सुखद अनुभव रहे और उन्होंने सदा ही अपना प्रेम दिया। अब वे इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी यादे हैं। वोरा जी हमेशा जोडऩे में विश्वास रखते थे उन्होंने कभी भी तोडऩा नहीं सीखा। उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी उनके बताए आदर्शों का पालन करेंगे।