प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो पर इस साल की आखिरी मन की बात की। मोदी ने कहा कि चार दिन बाद साल बीतने वाला है। इस साल कई चुनौतियां और संकट आए, लेकिन हमने नया सामर्थ्य पैदा किया है। आत्मनिर्भर भारत के लिए वर्ल्ड लेवल के प्रोडक्ट बनाना जरूरी है। मोदी ने मन की बात में नए साल, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी उत्पाद, वन्यजीव, युवाओं की सोच और कश्मीर के केसर जैसे कई मुद्दों पर बात की।
मन की बात की 9 मुख्य बातें
लोगों ने नए साल में नए विचार भेजे
आज 27 दिसंबर है। 4 दिन बाद नए साल की शुरुआत होने जा रही है। अगली मन की बात 2021 में होगी। मेरे सामने आपकी लिखी ढेर सारी चिट्ठियां हैं। आप जो सुझाव भेजते हैं, वह भी हैं। कई लोगों ने फोन पर अपनी बात बताई। ज्यादातर बातों में बीते वर्षों के अनुभव और नए साल के संकल्प हैं। अंजली जी ने लिखा है कि इस बार हम ये नया काम करें कि देश को बधाई दें, शुभकामनाएं दें।
नमो ऐप पर मुंबई के अभिषेक जी ने एक मैसेज पोस्ट किया है। कि 2020 ने जो दिखाया दिया, जो सिखाया, वह कभी सोचा ही नहीं था। ज्यादातर लोगों ने देश के सामर्थ्य की भरपूर तारीफ की है। जब कोरोना के समय लोगों ने ताली-थाली बजाकर हमारे कोरोना वॉरियर्स को सम्मान किया था, उसकी लोगों ने तारीफ की है।
अब आत्मनिर्भरता पर जोर
साथियों देश पर काफी संकट आएं, दुनिया में सप्लाई चैन में बाधाएं भी आईं, लेकिन हमने हर संकट का हिम्मत से सामना किया है। दिल्ली के अभिनव को बच्चों को गिफ्ट देने थे। वे झंडेवालान बाजार गए। अभिनव बताते हैं कि वहां दुकानदार यह बोलकर सामान बेच रहे हैं कि ये खिलौने मेड इन इंडिया हैं। लोग भी भारत में बने खिलौनों को पसंद कर रहे हैं। यह बदलाव एक साल में हुआ है। इस पैमाने को अर्थशास्त्री भी नहीं तौल सकते।
स्वदेशी का इस्तेमाल करें
विशाखापट्टनम से वेंकट मुरलीप्रसाद जी ने एक अलग ही तरह का आइडिया शेयर किया। वे लिखते हैं- मैं आपको 2021 के लिए अपना ABC अटैच कर रहा हूं। मुझे समझ में नहीं आया कि ABC से उनका क्या मतलब है। तब देखा कि वेंकट जी ने चिट्ठी के साथ एक चार्ट भी अटैच कर रखा है। ABC से उनका मतलब है आत्मनिर्भर भारत चार्ट ABC। यह बहुत ही दिलचस्प है।
वेंकट जी ने उन सभी चीजों की पूरी लिस्ट बनाई है, जिन्हें वे रोज इस्तेमाल करते हैं। वेंकट जी ने कहा है कि हम जाने-अनजाने में उन विदेशी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनके विकल्प भारत में आसानी से उपलब्ध हैं। अब उन्होंने कसम खाई है कि मैं उसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करूंगा, जिनमें हमारे देशवासियों की मेहनत और पसीना लगा हो।
हमारे प्रोडक्ट्स विश्वस्तरीय हों
वोकल फॉर लोकल ये आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे प्रोडक्ट्स विश्वस्तरीय हों। जो भी ग्लोबल बेस्ट है, वह हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप्स को भी आगे आना है।
तेंदुओं की संख्या में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
भारत में लेपर्ड्स यानी तेंदुओं की संख्या में 2014 से 2018 के बीच 60% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। 2014 में देश में लेपर्ड्स की संख्या करीब 7,900 थी, वहीं 2019 में इनकी संख्या बढ़कर 12,852 हो गयी। लेपर्ड्स के बारे में जिम कार्बेट ने कहा था, ‘जिन्होंने ने तेंदुए स्वछंद रूप से घूमते नहीं देखा, वे उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते।’ तेंदुए की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सबसे ऊपर हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी संवेदनशीलता दिखाएं
मैंने तमिलनाडु के एक हृदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा। हम सबने इंसानों वाली व्हीलचेयर देखी है, लेकिन कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने अपने पिताजी के साथ एक पीड़ित डॉग के लिए व्हीलचेयर बना दी। ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो। उत्तर प्रदेश के कौशांबी की जेल में गायों को ठंड से बचाने के लिए पुराने और फटे कम्बलों से कवर बनाए जा रहे हैं।
मंदिरों के जीर्णोद्धार में जुटे युवा
एक युवा ब्रिगेड ने कर्नाटक में, श्रीरंगपट्टनम के पास वीरभद्र स्वामी नाम के एक प्राचीन शिव मंदिर का कायाकल्प कर दिया। यहां हर तरफ घास-फूस और झाड़ियां भरी हुई थीं कि राहगीर भी नहीं बता सकते कि यहां एक मंदिर है। युवाओं की लगन देखकर स्थानीय भी मदद के लिए आगे आए। वीकेंड्स में युवाओं ने काम किया और मंदिर के पुराने वैभव को लौटा लाए।
कश्मीर का केसर मशहूर
अकबर के दरबारी अबुल फजल ने कश्मीर की यात्रा के बाद कहा था कि कश्मीर के एक नजारे को देखकर चिड़चिड़े और गुस्सैल लोग भी झूम उठेंगे। वे कश्मीर में केसर के खेतों का उल्लेख कर थे। कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। इसी साल मई में कश्मीरी केसर को जियोग्राफिकल इंडीगेशन यानी GI Tag दिया गया। इसके जरिए हम कश्मीरी केसर को एक ग्लोबली पॉपुलर ब्रांड बनाना चाहते हैं।
आज शहादत का भी दिन
अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए कई बलिदान दिए गए हैं। 27 दिसंबर को गुरु गोविंद जी के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें, लेकिन उन्होंने कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन फिर भी वे टस-से-मस नहीं हुए। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी- माता गुजरी ने भी शहादत दी थी।