अमोरा में मनरेगा के तहत मुस्कान समूह की मेहनत से हुआ बाड़ी विकास

बेमेतरा। प्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा से हुए नर्सरी कार्य और वृक्षारोपण से जहां पर्यावरण हरा-भरा हो रहा है। वहीं ग्रामीण आजीविका भी समृद्ध हो रही है। ऐसे ही महिलाओं की सहभागिता से जनपद पंचायत बेमेतरा से 5 किलोमीटर दूरी में स्थित ग्राम पंचायत अमोरा ने लगभग 5 एकड़ शासकीय बंजर भूमि में स्वीकृत चारागाह के अंतर्गत सब्जी उत्पादन करने का बीड़ा उठाया। महात्मा गांधी नरेगा से 12.20 लाख की स्वीकृति प्राप्त कर समूह द्वारा चारा बीज के बुआई के साथ-साथ भिंडी, करेला टमाटर, गोभी, बैगन, गवारफल्ली, बरबट्टी एवं मूली इत्यादि सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। इस प्रकार बाड़ी विकास/सब्जी उत्पादन महिलाओं के आय का जरिया बना वहीं महात्मा गांधी नरेगा से रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए ।
इस कार्य में गांव की मुस्कान महिला स्व सहायता समूह की 10 महिला सदस्यों ने काम किया। इस जमीन पर महिलाओं द्वारा रबी एवं खरीफ दोनो ऋतुओं में सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है।
प्रत्येक गुरूवार को महिलाओं द्वारा सब्जी तोड़कर उसे विक्रय हेतु मंडी भेजा जाता है। एवं गांव के लोग भी वहीं से सब्जी खरीदते हैं। अब तक उनको लगभग 1 लाख 55 हजार रूपये की आय की प्राप्ति हो गई है एवं सभी महिलाओं द्वारा स्वयं भी अपने एवं अपने परिवार के लिए बाड़ी के सब्जी का खाने में उपयोग करते हैं ।
महिलाओ की जीवन बदली
ग्राम पंचायत अमोरा के सरपंच सतरूपा वर्मा इस कार्य से बहुत खुश है एवं वो बताती हैं कि समूह की महिलाओं ने मेहनत और लगन से इस बाड़ी को सींचा और संवारा है। वे बताती हैं कि उन्होंने जमीन के चारो ओर तार फेंसिंग करवाया ताकि सब्जियों की पशुओं से सुरक्षा हो सके। समूह की महिलाऐं रोजाना सब्जियों का देखभाल करती हैं एवं महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी राशि सीधे उनके खाते में प्राप्त होने के कारण उस राषि का उपयोग अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए कर रहे हैं। इस प्रकार समूह की महिलाओं ने बाड़ी से सब्जी उत्पादन कर आत्मनिर्भर होने की मिशाल दी है एवं अपनी आर्थिक स्थिति को और भी मजबूत बना रही है। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी के अंतर्गत बाड़ी विकास से महिला स्व सहायता समूह को जो आर्थिक मदद मिल रही है । इससे खुश होकर उन्होंने छ.ग. शासन को धन्यवाद कहा है । मुस्कान महिला स्व सहायता समूह ग्राम पंचायत अमोरा के महिलाओं का परिश्रम आस-पास के महिलाओं के लिए उदाहरण बन गया है ।

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