गीता कर्म करने की प्रेरणा देता है – डॉ आर के पांडे

छुरा। आईएसबीएम विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने तथा मानव उन्नति कर्म, ज्ञान और योग की शिक्षा के उद्देश्य से शुक्रवार 25 दिसंबर को कला एवं मानविकी संकाय के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2020 का आयोजन किया गया। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत विश्वविद्यालय की वर्चुअल भ्रमण से हुई। इस संगोष्ठी में सभी का स्वागत करते हुए तथा इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आनंद महलवार ने कहा कि भगवत गीता का पाठ अमेरिका जैसे देशों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाता है। गीता के श्लोक मानव मन की दुविधाओं को समाप्त करने का कार्य करता है और मानव विकास के लिए आवश्यक है। तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बीपी भोल ने तीन योग (कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्ति योग) की चर्चा करते हुए हम सभी को प्रतिदिन गीता के श्लोकों का पाठन करने की सलाह दी और बताया कि गीता ज्ञान का भंडार है और इसे हमें अपने जीवन में ग्रहण करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ राजकुमार पांडे, हिंदी विभाग, गुरु घासीदास शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुरूद जिला धमतरी थे। उन्होंने अपनी दिव्य वाणी से हमें श्लोकों की संख्या बताते हुए कहा कि इसमें न सिर्फ भगवान कृष्ण के श्लोक हैं अपितु अर्जुन, धृतराष्ट्र और संजय के भी श्लोक प्राप्त होते हैं। साथ ही कर्म योग की जानकारी देते हुए हमें कर्म करने तथा फल की चिंता ना करने की सलाह दी। हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए तथा प्रभु पर संशय नहीं करना चाहिए क्योंकि संशय से दुविधा होती है और दुविधा मूढ़ व्यक्ति की पहचान है और मूढ़ प्रवृत्ति के व्यक्ति प्रभु को प्रिय नहीं होते। साथ ही महाभारत के विभिन्न प्रसंगों का विस्तार से विवेचन किया। विश्वविद्यालय के योग विज्ञान के प्रो अश्वनी साहू ने योग के प्रभावों को हमें बताया तथा कहा कि योग का महत्व प्राचीन काल से रहा है। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रो. प्रेमलता चक्रधारी ने किया तथा संचालन प्रो. डायमंड साहू ने सफलतापूर्वक किया। अंत में विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र साहू ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए आगे भी इस प्रकार के आयोजन करने हेतु छात्र-छात्राओं को आश्वस्त किया। उक्त संगोष्ठी को सफल बनाने में विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं का सराहनीय योगदान रहा।प्रो.दीपेश निषाद के तकनीकी सहयोग से संगोष्ठी संम्पन्न हुआ।

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