आदिवासी बाहुल्य और पहाड़ की तलहटी में बसे गांव की लता बन गई बैंक वाली दीदी कभी हाथों में होता था झाड़ू, आज चला रही है कम्प्यूटर

गरियाबंद । जिले के ओडिशा सीमा से लगे और मलेवा पहाड़ के तलहटी में बसे आदिवासी बाहुल्य ग्राम कनफाड़ में लता बाई नागेश बैंक वाली दीदी के नाम से मशहूर हो गई है। लता बाई नागेश बैंक का विकल्प बनकर बैंक सखी का कार्य बखूबी तरीके से कर रही है। कनफाड़ ग्राम के आसपास के 18 किलोमीटर दायरे में बसे गांवों में वृद्धावस्था, निराश्रित पेंशन, रोजगार गारंटी योजना की राशि, वनोपज संग्रहण की राशि, किसान सम्मान निधि राशि, कोविड सहायता राशि आदि अनेक मद की लगभग 5 लाख रूपये कि राशि का भुगतान इनके द्वारा किया गया है। जरूरतमंदों के पास ये खुद पहुंच जाती है या अपने दुकान में ये कम्पयूटर के माध्यम से आॅनलाईन भुगतान करती है। लता बताती है कि उनमें ये आत्मविश्वास बिहान से जुड़कर आया। सन् 2016 के पहले वे घर में कामकाज बर्तन-चौका तक ही सीमित थी, लेकिन बिहान से जुड़ने के पश्चात आज कम्प्यूटर चला रही है। कोविड लाॅकडाउन के तीन महिनों के दौरान उन्होंने लगभग 15 लाख रूपये का लेनदेन किया और राज्यभर में छठवें ेस्थान पर रही। उन्होंने बताया कि वे फोन करने पर नगद भुगतान हेतु हितग्राही के घर पहुंच जाती है। पंचायत प्रतिनिधि और बिहान की दीदियां भी इस कार्य में मदद करते हैं। वे यहां तक ही नहीं रूकी बल्कि आर्थिक स्वालम्बन के लिए समूह से लोन लेकर अपने काम को आगे बढ़ाते हुए स्वयं की एक दुकान भी चला रही हैं, जिसमें वे फोटोकॉपी, फोटो, शादी, नामकरण, गृहप्रवेश आदि के कार्ड्स एवं विभिन्न प्रकार के आनलाईन कार्य कुशलता से कर रही हैं। 

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