? जिला रिपोर्टर तेनसिंह मरकाम गरियाबंद
देवभोग। उरमाल गोहरापदर ध्रुवा गुड़ी व आसपास के दर्जनों गांव में महालक्ष्मी जी की पूजा बहुत ही धूमधाम से किया जाता है।
नवम्बर के महीने में मनाने का यह पर्व खासकर महिलाओं के लिए बेहद खास है महिलाओं के द्वारा ही इस पूजा को पूर्ण किया जाता है।
इन दिनों महिलाएं रोज सुबह 4 बजे उठकर तालाब से नित्यकर्मों नहा धोकर पुराण पाठ करने का सदियों पुरानी रिवाज़ है । महालक्ष्मी जी का यह व्रत लगभग एक महीने तक मनाया जाता है इस बीच बहुत से नियमों का भी पालन महिलाओं द्वारा किया जाता है।
महालक्ष्मी जी की खास पूजा में एक खास किस्म में व्यंजन मिठाई महालक्ष्मी जी को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है जो कि चावल से बना होता है और उसके अंदर तिल गुड़ मिलाकर बनाया जाता है जिसका स्वाद वर्षो तक याद रहता है क्योंकि एक साल बाद ही दोबारा यह प्रसाद मा लक्ष्मी और श्रद्धालुओं को मिलता है।
इस पूजा की मान्यता पुराणिक कथाओं पर आधारित है महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने व सुख संपदा धन पुत्र की कामनाओं के लिये महिलाएं इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक हर्षोल्लास के साथ प्रत्येक वर्ष इसी नवम्बर दिसंबर के महीनों मनाते हैऔर इस पूजा अवधि में कई गांव में साक्ष्य माता जी की मूर्ति स्थापना कर पूजा अर्चना करने का रश्म वर्षों से चले आ रहे है