बाबा गुरु घासीदास ने मनखे- मनखे एक समान का संदेश देकर समाज को एकजुट किया

पाटन. ग्राम चुनकट्टा में सन्त शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती मनाई गई । इस अवसर पर सभी समाज के लोगों ने जैतखांभ पर पुजा अर्चना कर बाबा जी के कार्यों को याद किया ।
सतनामी समाज के महान संत गुरु घासीदास के 263 वाँ जयंती समाज के लोगों द्वारा मनाया गया छन्नूलाल जीशी ने कहा कि हमारे समाज के लिए गौरव का विषय है कि बाबा गुरु घासीदास जैसे महान संत हमारे समाज में जन्म लिए और समाज को विकास की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा ।
खिलेश मारकंडे ने कहा की पुज्य संत श्री घासीदास के पिता का नाम महंगू दास और माता का नाम अमरौतिन देवी था। गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ में सतनामी संप्रदाय की स्थापना की थी इसीलिए उन्हें ‘सतनाम पंथ’ का संस्थापक माना जाता है। उनके जन्मस्थान पर विशाल जैतखाम का निर्माण किया गया है जो छत्तीसगढ ही नहीं वरन पुरे देश के धार्मिक स्थल के साथ दर्शनीय स्थल के रुप में प्रसिद्ध हो गया है ।
भरत जोशी ने कहा कि घासीदास जी बहुत कम उम्र से पशुओं की बलि, अन्य कुप्रथाओं जैसे जाती भेद-भाव, छुआ-छात के पूर्ण रूप से खिलाफ थे। उन्होंने पुरे छत्तीसगढ़ के हर जगह की यात्रा की और मनखे मनखे एक समान का नारा दिया
उन्होंने सत्य के प्रतिक के रूप में ‘जैतखाम’ को इसके सफ़ेद रंग को सत्य का प्रतीक माना जाता है।
आज ग्राम चुनकट्टा में सन्त शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती मनाया गया इस अवसर पर चुनकट्टा के वरिष्ठ नागरिक श्री छन्नूलाल जोशी,पवित कौसले,कुमारदास रात्रे,भोजराम जोशी, भरत जोशी, कौशल जोशी, रामदास कोसरे,खिलेश (बबलू) मार्कण्डेय, संतोष मार्कण्डेय उपस्थित थे।

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