पारिवारिक व आर्थिक स्थिति खराब कर नये वर्ष में नौकरी से निकालने का आदेश बहुत दुखद है
नियमों के पेंच के बीच रास्ता निकालकर विभाग में समायोजन करे सरकार
पाटन। जनपद सदस्य खिलेश बबलू मारकंडे ने कहा है कि बी एड डिग्रीधारी शिक्षकों को निकालना बहुत दुखद है ।नियमो की सभी जानकारी नियोक्ता अधिकारियों को थी तो नियुक्ति क्यों किया और नियुक्ति कर ही लिया तो निकाला क्यों गया ।बीच का रास्ता निकालकर उसे किसी भी प्रकार से विभाग में समायोजित करना चाहिए था । क्योंकि गलती अभ्यर्थी की नहीं गलती नियुक्ति करने वाले की है तो सजा बी एड डिग्री धारी शिक्षकों को क्यों दिया जा रहा है। बहुत से अभ्यर्थी रेलवे या अन्य नौकरी छोड़कर इस विभाग में नौकरी करने के लिए आये है ।बहुत से अभ्यर्थीयो का नौकरी के भरोसे ही शादी हुआ है । बहुत से अभ्यर्थी नौकरी के बेस में ही कार और घर बनाने बैंक से लोन ले लिए है । उन सबकी पारिवारिक व आर्थिक स्थिति खराब कर सरकार उन सबको नये वर्ष में नौकरी से निकालने का आदेश देकर उनका सुखमय जीवन खराब कर रही है ।वर्तमान सरकार कुछ करने के बजाय सिर्फ दोषारोपण करने में जुटी है सरकार में आप है आप उनके लिए उचित रास्ता निकालने के लिए सक्षम है ।आप बहानेबाजी छोड़कर उन शिक्षकों के जीवन को सुखमय बनाने में सहयोग करने की है ।कोर्ट में सही तरीके से अपना पक्ष रखकर अभ्यर्थीयो के लिए कोई ठोस पहल करने की जरुरत है ताकि अभ्यर्थी व उनके परिवार जो मानसिक त्रासदी से बाहर निकल सके ।अब स्थिति यह है कि बीएड डिग्री धारी शिक्षकों के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का भी विकल्प नहीं बचा है। सरकार भी अब इस मामले को लेकर न्यायालय नहीं जा सकती। मामले मे पेंच फंसता देखकर भी तत्कालीन सरकार और अधिकारियों ने सूझबूझ नहीं दिखाया इसी का परिणाम है कि मामला इस स्थिति तक पहुँच गया है
छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति अधिनियम तैयार करते समय ही अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की गई। हाई कोर्ट ने भी अपने अंतिम निर्णय में अलग से नोट जारी करते हुए यह साफ कहा है कि छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है
किसी भी कर्मचारी को नौकरी मिलना और फिर नौकरी का इस तरीके से छीन जाना बहुत बड़ा अन्याय है।इस निर्णय से प्रदेश भर में सरकार की किरकिरी हो रही है और सरकार के मंत्रियों और प्रवक्ताओं को सामने आकर ठोस निर्णय लेकर उचित हल निकालने की जरूरत है। प्रदेश में लॉ एंड आर्डर बिगड़ने तक की स्थिति है और 30 प्रदर्शनकरियों पर अपराध दर्ज कर जेल तक भेज देना कहाँ तक न्याय संगत है