पाटन। ग्राम बोरीद में पाण्डेय परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव कथा वाचक पंडित चन्द्रकांत दुबे ने आगे की कथा का विस्तार करते हुए नारद जी के पूर्व जन्म , परिक्षित, शुकदेव की कथा एवं दिव्य मंत्रों के साथ श्रीमद भागवत कथा की शुरुआत की गई। भागवत कथा के दूसरे दिन शुकदेव की वंदना के बारे में वर्णन करते हुए पंडित चन्द्रकांत दुबे ने कहा कि श्रीमद्भागवत की अमर कथा एवं शुकदेव के जन्म का विस्तार से वर्णन किया। कैसे श्रीकृष्ण ने शुकदेव महाराज को धरती पर भेजा भागवत कथा गायन करने को ताकि कलियुग के लोगों का कल्याण हो सके।
मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
महर्षि वेद व्यास के अयोनिज पुत्र थे और यह बारह वर्ष तक माता के गर्भ में रहे।भगवान शिव, पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। पार्वती जी को कथा सुनते-सुनते नींद आ गई और उनकी जगह पर वहां बैठे शुकदेव जीने हुंकारी भरना प्रारम्भ कर दिया। जब भगवान शिव को यह बात ज्ञात हुई, तब उन्होंने शुकदेव को मारने दौड़े और पीछे अपना त्रिशूल छोड़ा। शुकदेव जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागते रहे भागते-भागते वह व्यास जी के आश्रम में आए।
कथा के दौरान आराध्य देव वराह श्याम के अवतार लेने के प्रसंग का सुंदर चित्रण हुआ। पृथ्वी को रसातल में डूबो देने वाले हिरणायक्ष का वध वराह अवतार धारण करने वाले भगवान विष्णु ने किया था। उन्होंने कहा कि भक्तों के कष्ट हरने भगवान हर बार अलग अलग रूप में आते हैं। इस अवसर पर सरिता पाण्डेय , रश्मि पाण्डेय मीरा पाण्डेय, श्रुति शर्मा , रानू , संजय शर्मा , अरुण शैलेंद्र, आयुष , अंश, मनहरण वर्मा, दुजराम ठाकुर ,बिसेलाल वर्मा , मनीष वर्मा, प्रेमलाल खिचरिया , घनश्याम वर्मा, होरीलाल अधिक संख्या में श्रोता उपस्थित थे