दुर्ग एसपी ने कहा- सुधर जाएं अपराधी…. अमित जोश के एनकाउंटर से खत्म हुआ आतंक का एक अध्याय


भिलाई। हिस्ट्रीशीटर अमित जोश को दुर्ग पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। लंबे समय से पुलिस अमित जोश की तलाश में थी। अमित जोश के एनकाउंटर के साथ ही दुर्ग भिलाई में आतंक का एक अध्याय खत्म हो गया है। शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम सेक्टर-6 में एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने एनकाउंटर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें मीडिया से साझा की। साथ उन्होंने यह भी कहा है कि अपराधी सुधर जाएं और अपराध करने से तौबा करें।
चार माह पहले विश्रामपुर निवासी रमनदीप सिंह अपने दोस्त सुनील यादव और आदित्य सिंह से मिलने भिलाई आया था। सुनील यादव टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी है। आदित्य सिंह उड़ान अकादमी में पीएससी की तैयारी कर रहा है। रमनदीप के आने की खुशी में तीनों ने पार्टी की। 25 व 26 जून की दरमियानी रात सभी बाइक से घूमने निकले थे। इसी दिन हिस्ट्रीशीटर अमित जोश का एनवर्सरी थी। देर रात 1-2 बजे के बीच पार्टी करने के बाद जोश और उसका एक साथी बाइक से घूमने निकले थे, जैसे ही ग्लोब चौक के आगे पहुंचे उन्हें रमनदीप सिंह, सुनील यादव और आदित्य सिंह दिखे। सभी नशे में थे और गाली-गलौज करने को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि, अमित जोश ने तीनों लड़कों पर तीन राउंड फायरिंग कर दी। इस हमले में सुनील यादव और आदित्य सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद दुर्ग पुलिस ने ताबड़तोड़ कारवाई कर अमित जोश के करीबियों के साथ उसकी मां, जीजा लक्की जॉर्ज व बहन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यही नहीं अमित जोश के कब्जे वाले बीएसपी आवासों को खाली कराया गया। इसके बाद अमित जोश पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने अमित जोश की तलाश में अलग अलग टीमों को लगा रखा था।
भिलाई दुर्ग में आने की सूचना मिली थी
एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि अमित जोश के दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में लुक छिप कर रहने की सूचना प्राप्त हो रही थी। जिसे देखते हुये 7 व 8 नवंबर को होटल, लॉज, ढाबा, रेल्वे स्टेशन की चेकिंग एवं नाकेबंदी के लिए सभी थाना चौकी को निर्देशित किया गया था। एसीसीयू की भी टीम को लगाया गया था। 8 नवंबर की शाम को सर्चिंग कर रही पुलिस टीम को अमित जोश जयंती स्टेडियम के पास दिखा। पुलिस को देखकर अमित जोश जयंती स्टेडियम के पास स्थित जंगल झाडिय़ों की ओर भागने लगा। पुलिस की टीम ने वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल इसकी सूचना दी।उप पुलिस अधीक्षक काईम हेम प्रकाश नायक एसीसीयू की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस गाड़ी को देखकर अमित जोश ने पुलिस के वाहन पर गोली चला दी। पुलिस व्दारा आत्मरक्षार्थ गोली चलाई गयी, जिससे मुठभेड़ में फरार आरोपी अमित जोश की मौत हो गयी। पुलिस व्दारा घटना में अपराध एवं मर्ग कायम कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। एफएसएल टीम को मौके पर बुलाकर विधिवत् निरीक्षण एवं जब्ती कार्रवाई की गयी है। एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट व्दारा पंचनामा कर, डाक्टरों की टीम से अमित जोश के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।
35 से ज्यादा अपराध दर्ज थे अमित जोश पर
अमित जोश के खिलाफ जिले में 35 से अधिक अपराध दर्ज थे। अमित जोश 14 साल की उम्र से ही अपराध की दुनिया में आ गया था। अमित जोश पर मारपीट, गुंडागर्दी, हत्या, पिस्टल से फायर जैसे गंभीर मामले दर्ज है। गोली कांड के बाद से फरार अमित जोश पर पुलिस ने 40 हजार इनाम की घोषणा भी की थी। दुर्ग एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि गोलीकांड के बाद अमित जोश की लगातार पतासाजी की जा रही थी। एसपी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि पुलिस अमित जोश को जिंदा पकडऩा चाहती थी इसलिए हमारी टीम ने उसे चेतावनी दी इसके बाद भी वह नहीं माना। इसके बाद पुलिस ने एनकाउंटर में अमित जोश को ढेर कर दिया। एसपी शुक्ला ने बताया कि इनाम की राशि को एनकाउंटर में शामिल पूरी टीम को दी जाएगी। पत्रकार वार्ता के द्वारा एडिशनल एसपी सुखनंदन राठौर, हेम प्रकाश नायक, सत्य प्रकाश तिवारी,हरीश पाटिल मौजूद थे।
इससे पहले दुर्ग पुलिस ने किए थे तीन एनकाउंटर
केस -1 : दुर्ग पुलिस ने सबसे पहले वर्ष 2001 में दुर्ग के अंजोरा क्षेत्र में कुख्यात आरोपी सुखविंदर सिंह उर्फ सोक को पुलिस टीम पकडऩे गई थी। इस दौरान जहां आरोपी और पुलिस में मुठभेड़ में मारा गया। कुख्यात आरोपी सुखविंदर सिंह और उसके गुर्गे ने एक कारोबारी का अपहरण किया था। जिसके बाद से पुलिस को सुखविंदर की तलाश थी। दुर्ग जिले का यह पहला एनकाउंटर था।
केस -2 : दूसरा एनकाउंटर वर्ष 2005 में भिलाई में हुआ था। बहुचर्चित महादेव महार हत्याकांड में हिस्ट्रशीटर गोविंद विश्वकर्मा भी शामिल था। पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी गोविंद विश्वकर्मा तलपुरी के आसपास है। जिससे घेराबंदी कर पकडऩे की कोशिश की गई, लेकिन गोविंद ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जिसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में गोविंद गोली के शिकार हो गया था।
केस -3 : तीसरा एनकाउंटर वर्ष 2010 में जामुल में हुआ था। जहां नार्थ बस्तर माड़ ज्वाइंट डिविजनल कमेटी के सदस्य नागेश और उसकी पत्नी रावघाट एरिया कमेटी के सदस्य ताराबाई कारतूस खरीदने के लिए भिलाई पहुंचे है। इसकी सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनो की तलाश शुरू की। तलाशी के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि दोनों जामुल क्षेत्र में हैं। इसके बाद पुलिस उसे पकडऩे जा रही थी, तभी नागेश ने पुलिस पर फायर कर दिया। जिसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में नागेश और उसकी पत्नी ताराबाई को गोली लगी जिससे उसकी मौत हो गई।

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