भारी गहमागहमी एवं अव्यवस्था के बीच पतोरा में चूना पत्थर उत्खनन के लिए हुई लोकसुनवाई

  • पतोरा के ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध वही ढौर के अधिकांश ग्रामीणों ने खदान खोलने में दी सहमति

पाटन। विकासखंड पाटन के ग्राम पतोरा एवं ढौर में चूना पत्थर उत्खनन के लिए शनिवार को स्वामी आत्मानंद स्कूल पतोरा में ग्रामीणों के भारी विरोध के बीच लोक सुनवाई की खानापूर्ति कर ली गई। जनसुनवाई में अपर कलेक्टर अरविंद एक्का, एसडीएम लवकेश ध्रुव, पर्यावरण विभाग के अफसर व स्थानीय अधिकारी भी मौजूद थे। जनसुनवाई के दौरान ग्राम पतोरा के ग्रामीणो ने पुरजोर विरोध किया तो वहीं दूसरी ग्राम ढौर के अधिकांश ग्रामीनो ने खदान खोले जाने का खुलकर समर्थन किया।

मेसर्स मित्तल इंफ्राकान ढौर मेसर्स रॉक ओर मिनरल्स पतोरा द्वारा खदान खोलने के लिए आवेदन पेश किया गया था, जिस पर क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई द्वारा दोनो खदानों की संयुक्त लोक सुनवाई का आयोजन प्रशासन द्वारा किया था। जिसमें प्रशासन द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।जनसुनवाई में पक्ष व विपक्ष में दावा आपत्ति भी लिया गया तथा इस जन सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई है। 

गौरतलब हो की सेलूद क्षेत्र ग्राम चुनकट्टा, मुड़पार, पतोरा, छाटा, गोंडपेंड्री, अचानकपुर, ढौर, परसाहि, धौराभाठा में चूना पत्थर खदान एवं क्रशर की भरमार है। खदान अब बस्ती तक पहुंच रहा है। पहले ही क्षेत्र के लोग क्रशर खदानों की भरमार और वहां होने वाले धमाकों से नारकीय जीवन जीने मजबूर हैं। दिन-रात वाहनों में गौण खनिज के अवैध परिवहन व उत्खनन से लोग हलाकान है। यहां के कई क्रशर खदान जरूरत से ज्यादा गड्ढा खोदकर बंद हो गए हैं, फिर भी इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 

पाटन तहसील के ग्राम ढौर  में 4.46 हेक्टेयर भूमि में चूना पत्थर उत्खनन किया जाना प्रस्तावित है। यहां 69.828 हजार टन प्रतिवर्ष उत्खनन एवं पतोरा में 4.55 हेक्टेयर भूमि में पत्थर उत्खनन 79.804 हजार टन प्रतिवर्ष  पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जनसुनवाई हुई, जिसमें ग्राम पतोरा, देउरझाल,चुनकट्टा,मुड़पार,ढौर,सहित आसपास के ग्रामीणों ने लोकसुनवाई में खदान खोले जाने  के पक्ष विपक्ष में अपनी बातें रखी ।

ग्रामीणों ने जनसुनवाई को बताया महज औपचारिकता…..

लोगों का कहना था कि पहले ही क्षेत्र में क्रशर खदानों की भरमार है, जिसके धूल और धमाकों से लोग हलाकान है। फिर चूना पत्थर खदान खोलकर लोगों को प्रदूषण में झोंकने की तैयारी की जा रही है। विरोध करने वाले ग्रामीणों का कहना था कि स्वीकृति प्रदान करने वाले ग्रामीणों ने लोकसुनवाई में आए अधिकारियों के समक्ष कहा की आखिर विरोध के बाद भी स्वीकृति कैसे मिल जाती है। एक सप्ताह इन गावों में रहकर देखे की हम ग्रामीणों की स्थिति कैसी है। ग्रामीणों के विरोध के बाद भी खदान खोलने की स्वीकृति दे दी जाती है। लोकसुनवाई महज औपचारिकता बस बनकर रह गई है। जनसुनवाई में अधिकारी आकार  केवल खानापूर्ति कर चले जाते है।उसके बाद जब खदान संचालन होती है तब शिकायत के बाद भी अधिकारी झांकने तक नही आते। 

आखिर सात किलोमीटर दूर लोकसुनवाई क्यों रखी गई

ग्राम ढौर में मेसर्स मित्तल इंफ्राकान की पर्यावरण स्वीकृति के लिए गांव से दूर 7 किलोमीटर की दूरी पर रखा गया था। आखिर क्या कारण था कि जिस गांव में चुना पत्थर उत्खनन किया जाना है उस गांव में लोकसुनवाई नही कर अन्यत्र रखा गया। ज्ञात हो की लगभग एक साल पहले ग्राम ढौर में एक पत्थर खदान खोले जानें के लिए लोकसुनवाई हुई थी जिसमें ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया था। कही उसी विरोध के चलते दूसरे जगह करवा देने की चर्चा होती रही।

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