दुर्ग शिक्षक जहाँ बच्चों को तरासते है उसकी प्रतिभा को सामने लाने का निरंतर प्रयास करते है पर स्वंय पर्दे के पीछे रह जाते है और अपने प्रतिभा को रूढ़िवादी समाज के सामने तिलांजली देकर मौन रहते है। शिक्षकों की छुपे प्रतिभा को सामने लाने के लिये कोई सामने आया और एकला चलो के भाव को लेकर शिक्षक कला व साहित्य अकादमी का निर्माण कर प्रतिभावान शिक्षक को जोड़ने लगा धीरे धीरे यह कारवां बढ़ता गया और बड़ा संगठन के रूप में खड़ा हो गया है जिसकी महक पूरे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में पहुंचने के साथ ही विभिन्न राज्य में भी अपनी पहचान बना चुका है। हम इस अकादमी के विषय में विस्तार से जानने के लिये शिक्षक कला व साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के संस्थापक व संयोजक डॉ. शिवनारायण देवांगन “आस” से मिले और जानने का प्रयास किया। *किस उद्देश्य को लेकर अकादमी का गठन किया गया* संस्थापक व संयोजक डॉ.शिवनारायण देवांगन “आस” ने बताया कि शिकसा शिक्षक व विद्यार्थी के सर्वागीण विकास के लिये संकल्पित बहुआयामी पंजीकृत प्रथम संस्था है जो 23 सितम्बर 2019 को गठित हुआ जो अपनी 05 वर्ष का सफर पूरा कर 06 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है जिसे हम शिकसा परिवार के रूप मे मानते है और हर विधा का कार्यक्रम संचालित हो रहा है । *शिकसा शब्द कुछ अलग सा लगता है शिक्षा होने चाहिए था* मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि शुरू में काफी लोगों ने आलोचना किया प्रश्न किया ये गलत है जब सबको समझाया व बताया गया कि ये शिक्षक कला व साहित्य अकादमी का प्रथम अक्षर का संक्षिप्त नाम है तब सभी के समझ में आया और आज सबके मन में घर कर गया है । *संगठन बनाने का ख्याल कैसे आया* जब हम बच्चों को किसी कार्यक्रम की तैयारी कराते है तो शिक्षक उसे करके बताते है बच्चे तो मंच में प्रस्तुति दे देते है पर शिक्षक साथी पर्दे के पीछे मन मार कर रह जाते है इसे देखकर इस अकादमी का स्थापना किया जो हर विधा के शिक्षक इसमें शामिल हो सकते है।आज सभी शिक्षक व बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे है। *और क्या उद्देश्य है जो कल्याणकारी है* इस पर संयोजक डॉ. शिवनारायण देवांगन “आस” ने बताया हमने विद्यार्थी कल्याण कोष का गठन किया है जिसमें जरूरतमंद को पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता की जाती है तथा दिव्यांग विद्यार्थी के लिये आवश्यक उपकरण व सामग्री उपलब्ध कराकर पढ़ाई में सहायता करना व दिव्यांग व जरूरतमंद विद्यार्थी के सहायतार्थ स्वस्थ्य परीक्षण व चैरिटी शो का आयोजन करना। *आपने कोरोना काल में निरंतर आन-लाइन कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं इसे प्रतिदिन कैसे संचालित कर पाते है।* इस पर देवांगन ने बताया कोरोना काल में हम किसी से मिल भी नही पा रहे थे वहीं सभी के दिल में दहशत का माहौल बना तो हमने आन-लाइन कार्यक्रम का रास्ता निकाला और 01जुलाई 2020 से जो कार्यक्रम शुरू हुआ आज तक निरंतर प्रतिदिन रात 8:00 बजे से कार्यक्रम प्रारंभ होता है देर रात तक चलता है अब सबको 8:00 बजे का इंतजार रहता है कि कब आठ बजे और जुड़कर कार्यक्रम प्रस्तुत करे सभी का सहयोग प्राप्त हो रहा है इसलिए कर पा रहे है। *अभी तक आप लोगों ने क्या क्या कार्यक्रम करा चुके हैं* इस पर आस ने बताया हमने हर तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे है पर हमारा ध्येय है हम छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को बचाने कर संर्वधन करने का है विभिन्न प्रतियोगिता के साथ हर पर्व, जंयती, उत्सव पर प्रतिदिन कार्यक्रम आयोजित कर रहे शिक्षक व विद्यार्थी को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित करने का कार्य कर रहे हैं अब तक हजारों शिक्षकों व विद्यार्थियों को सम्मानित कर चुके है। *आपके अकादमी के सदस्य बनने का प्रकिया क्या है* हमारे अकादमी में कोई भी शिक्षक सदस्य बन सकते बस उनमें कुछ करने की ललक हो हमारे अकादमी में जिला शिक्षा अधिकारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी, डी.एम.सी., बी.आर.सी.सी., पी.ए.सी., सी.ए.सी., प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक व सहायक शिक्षक सभी जुड़े हुए हैं। वहीं राष्ट्रपति, राज्यपाल व विभिन्न सम्मान से सम्मानित शिक्षक भी जुड़े हुए है। और जुड़ने के बाद काफी लोगो को राष्ट्रपति, राज्यपाल पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके है और हो रहे है।*अभी तक क्या क्या उपलब्धि प्राप्त हुआ है* हमारे अकादमी का पंजीयन हुआ है कुटुंब एप, टेलीग्राम, फेसबुक संचालित है वही हमारा लोगो, हमारे अकादमी का शीर्षक गीत, प्रेरणा गीत, ध्वज आदि सब कुछ तैयार है जो सामान्यतः किसी संस्था के पास नहीं होता वही अभी तक 18 जिला का विस्तार हो गया है साथ ही सभी जिला में हमारे सदस्य है जहाँ जल्दी ही विस्तार हो जायेगा। विद्यार्थी कल्याण कोष से जरूरतमंद विद्यार्थियो को आर्थिक सहायता दिया गया वही कई जिला में आफ लाइन शिक्षक दिवस समारोह, दीपावली मिलन समारोह, बाल दिवस कार्यक्रम, दिव्यांग दिवस, नववर्ष मिलन समारोह, महिला दिवस का आयोजन एवं वार्षिक कैलेन्डर, शिकसा डायरी, चिन्हारी पत्रिका, शिकसा के गौरव, मै शिक्षक हूं साहित्य संकलन का प्रकाशन करते आ रहे हैं ये हमारी प्रमुख उपलब्धि है साथ ही हर अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन निरंतर हो रहा है। *अंत मे आप अपने शिक्षक साथियों को क्या संदेश देना चाहेंगे* मै यही चाहता हूँ कि अगर आपके अन्दर कोई भी प्रतिभा है तो उसे छुपाये न बल्कि खुलकर जीये और हमसे जुड़कर अपनी प्रतिभा को सामने लाये निखारे और मंच में प्रस्तुति देकर सम्मानित होवें ।