रंग झरोखा का सांस्कृतिक यात्रा का सफर शुरू

  • दुष्यंत हरमुख पूरी टीम के साथ देते है प्रस्तुति
  • छग के लोक संस्कृति को देश दुनिया में बिखेर रही है रंग झरोखा की टीम

पाटन । छत्तीसगढ़ की संस्कृति को अपनी कला के माध्यम से प्रदेश व देश के कोने कोने तक प्रसारित कर रही छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक संस्था रंग झरोखा की इस सीजन की कला यात्रा 15 सितंबर से प्रारंभ हो रही है। गणेश व नवरात्र पक्ष में विभिन्न जगहों पर प्रस्तुतियां दी जाएगी।

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को मंचों के माध्यम से प्रस्तुति देने वाली संस्था के कलाकार नई गीतों व नृत्यों पर लगातार कार्यशाला आयोजित कर अपनी प्रतिभा निखार रहे हैं। संस्था के संचालक प्रसिद्ध संगीत निर्देशक दुष्यंत हरमुख व गायिका स्वर साम्राज्ञी रिंकी देवांगन के साथ कलाकार आगामी कार्यक्रमों की तैयारी में पूरी तरह से जुट गए हैं।

प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक संस्था रंग झरोखा की प्रस्तुति 15 सितंबर को भैसा (बलौदा बाजार), 16 गोढ़ी कुम्हारी, 17 सितंबर को रौचन (कवर्धा), 19 सितंबर को चारामा में दी जाएगी। इसी तरह 04 अक्टूबर को अमलीपदर, 05 अक्टूबर को माड़ी धाम (राजनांदगाव), 06 अक्टूबर को कुरुद, 07 अक्टूबर को सुहेला, 08 अक्टूबर को कोड़का छुईखदान, 09 अक्टूबर को सहसपुर लोहारा, 10 अक्टूबर को सल्हेटोला (चारामा), 11 अक्टूबर को रसमड़ा, 12 अक्टूबर को टिकरापारा (रायपुर), 13 अक्टूबर को उमरपोटी, 14 अक्टूबर को ढाबा (गंडई), 15 अक्टूबर को केसकाल, 16 अक्टूबर को परसाडीह (जैजैयपुर), 20 अक्टूबर को घोटिया (बालोद), 03 नवंबर को हल्दी (बेलौदी), 04 नवंबर घटियाकला (अहिवारा), 05 नवंबर रिसामा, (अंडा), 14 नवंबर मोखला (राज.), 22 दिसंबर तेंदुआ (रायपुर), 19 जनवरी 25 नंदिनी खुदनी कार्यक्रम आयोजित होगा।

अभ्यास से निखरती है कलाकारों की प्रतिभा

रंग झरोखा में गीत से लेकर संगीत व नृत्य पक्ष के सारे कलाकार मंजे हुए कलाकार हैं। प्रस्तुति के पहले लगातार अभ्यास से कलाकारों की प्रतिभा और निखर जाती है। संस्था प्रत्येक वर्ष नई-नई गीतों की प्रस्तुति देने के लिए प्रसिद्ध है। यही वजह है कि कई जगहों पर यह आयोजन प्रत्येक वर्ष होता है। संस्था के संचालक दुष्यंत हरमुख कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों में संगीत का निर्देशन कर चुके हैं। वे प्रमुख गायक के रूप में भी संस्था में अपनी प्रस्तुति देते हैं, संस्था की प्रमुख गायिका रिंकी देवांगन की आवाज से श्रोतागण झूम उठते हैं। संस्था की सभी प्रस्तुतियां छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जन-जन तक प्रसारित करती दिखती है।

फूहड़ता से दूर है रंग झरोखा

रंग झरोखा एक ऐसी संस्था है जो फूहड़ता से दूर है। इन दिनों कई ऐसी संस्थाएं हैं जो फूहड़ता के लिए प्रसिद्ध है लेकिन रंग झरोखा की सारी प्रस्तुतियां संस्कारवान होती है। प्रहसन भी इस तरह होते हैं जो लोगों को तो गुदगुदाते ही हैं, छत्तीसगढ़ की संस्कृति के अलावा जन जागरूकता को लेकर बेहतर संदेश देने वाले भी होते हैं। प्रत्येक गीत किसी विशेष भाव को लिए हुए होती हैं। भाव पक्ष के कलाकार मंचों पर इसे बेहतरीन बना देते है।

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