शिक्षकों के ऑनलाइन अवकाश के तुगलकी आदेश से शिक्षकों में नाराजगी आदेश तत्काल वापस ले-विजय झा

रायपुर। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर ने शिक्षकों के अवकाश के संबंध में एक आदेश जारी कर अवकाश आवेदन ऑनलाइन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इससे शिक्षकों में व्यापक नाराजगी है तथा इस तुगलकी आदेश को अव्यवहारिक मानते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है‌। कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया है कि उक्त निर्देश से ‌‌प्रदेश के समस्त प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों को समस्त प्रकार के अवकाश जिसमें आकस्मिक अवकाश, एक्छिक अवकाश, अर्जित अवकाश, चिकित्सा अवकाश,प्रसूति अवकाश,मातृत्व अवकाश,पितृत्व अवकाश और अन्य सभी प्रकार के अवकाश ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने पर ही मान्य किया जाएगा‌। अन्यथा शिक्षकों को कार्य पर अनुपस्थित माना जाएगा। श्री झा ने कहा है कि आज भी नेटवर्क वह अन्य समस्याएं होती हैं विशेष कर बस्तर सरगुजा के ग्रामीण अंचलों में टावर की समस्या है राज्य सरकार आकस्मिक अवकाश की परिभाषा को नहीं समझ रही है आकस्मिक अवकाश का आरती है कि कोई आकस्मिक घटना हो जाए उसके लिए कश्मीर का अवकाश लिया जाता है अन्य लंबे अवकाश के लिए ऑनलाइन सुविधा होनी चाहिए। ऑनलाइन सुविधा क्या भाव में अनुपस्थित मानने का निर्देश अनुचित है‌‌। श्री झा ने बताया है कि प्रदेश तृतीयावर कर्मचारी संघ के महामंत्री एवं बस्तर के नेता श्री गजेंद्र श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री तथा प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, मंत्रालय रायपुर को ईमेल तथा स्पीड पोस्ट के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर इस आदेश को तत्काल वापस लेने हेतु निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने बस्तर संभाग के सभी जिले दुर्गम एवं बीहड़ क्षेत्र में बसे होने नेटवर्क की समुचित सुविधा नहीं होने तथा विधानसभा चुनाव मेंअपना स्वयं का आंखों आंखों देखा उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार अंदरूनी क्षेत्र के सुरक्षाकर्मी के कैंप में सुरक्षाकर्मी अपने परिवार से बातचीत करने के लिए वृक्षों के ऊपर रस्सी के सहारे राउटर टांगकर मोबाइल का उपयोग करते हैं। ऐसे में ऑनलाइन अवकाश आवेदन किस प्रकार से किया जा सकेगा। इसलिए यह निर्देश बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। आकस्मिक अवकाश का अर्थ ही अचानक स्वास्थ्यगत कारण या जरूरी कार्य आने की वजह से शिक्षक आकस्मिक अवकाश लेता है। आकस्मिक अवकाश को पूर्व से ही आवेदन करना तर्कसंगत तथा न्यायिक नहीं होगा तथा प्रदेश में केवल शिक्षा विभाग और शिक्षक ही प्रयोगशाला बना हुआ है। कुछ भी गैर जरूरी आदेश केवल शिक्षकों पर ही लागू किया जाता है। अन्य विभाग इससे अछूता है ।अतः शिक्षा विभाग और शिक्षकों पर प्रयोग करना बंद किया जाए।

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