खबर हेमंत तिवारी
छुरा/ पूरे देश में कहा जाए या पूरे छत्तीसगढ़ में यह पहला मामला होगा कि शासन को हितग्राहीयो द्वारा रोजगार गारंटी का पैसा वापस किया जाएगा। मामला विकासखंड छुरा के पाण्डुका अंचल के एक ग्राम पंचायत का है। पिछले लगभग 5 वर्षों से रोजगार गारंटी योजना के विभिन्न कार्य में कुछ व्यक्ति का फर्जी हाजरी डाला जा रहा था।जब फर्जी हाजरी की शिकायत की गई तब हित ग्राही को पता चला कि उसने काम किया ही नहीं है। और उसके नाम से बाकायदा पंचायत सचिव और रोजगार सहायक सहित मेट द्वारा हाजिरी डाली जा रही थी । तो अब हितग्राही इस तरह फर्जी रूप से डाले गय सारे पैसे को शासन को वापस करना चाहते हैं। इसके लिए इन हितग्राहियों ने जिला पंचायत में जाकर एक अधिकारी से सलाह भी ली है। जिस पर संबंधित अधिकारी ने पूरी कार्यवाही का भरोसा दिलाया है। और इस कारण फर्जी रूप से हाजरी डालने के आरोप में पंचायत सचिव रोजगार सहायक और मेट पर कार्रवाई होने की संभावना बढ़ गई है। बता दे की रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्यों में हितग्राहियों को कम के बदले दम मिलता है ।पर न जाने क्यों रोजगार सहायक, सचिव और मेट की मिली भगत से इन व्यक्तियों का हाजिरी लगभग सालों से डाला जा रहा था ।हाला कि इसकी जानकारी इन्हें नहीं थी अब जब जानकारी हो गई है तो मुक्त का शासन का पैसा खाने से अच्छा है ।कि शासन को पैसा वापस कर देना चाहिए वही इस मामले के बारे में संबंधित ग्राम पंचायत के काम करने वाले हितग्राहियों ने बताया कि हमको जानकारी नहीं थी कि हमारे नाम से हाजिरी डाली जा रही है।
हालांकि हमारे खाते में पैसा आया है पर एटीएम से लेनदेन करने की वजह से पता ही नहीं चल पाया कि किस चीज का पैसा आ रहा है।ना ही जानने की कोशिश की जब इसकी शिकायत हुई तब कहीं जाकर हमको जानकारी हुई हालांकि इस पूरे मामले में जांच भी किया गया है ।और जब जांच हुआ तो जांच।अधिकारियों ने संबंधित मनरेगा हितग्राहियों को अपने जांच में शामिल नहीं किया, ना हीं कोई खबर दिया, ना ही बुलाया ,ना हीं उसका पक्ष जानने की कोशिश की, पर हितग्राहियों को लगता है कि मुक्त का पैसा खाने की बजाय शासन को पैसा वापस कर देना चाहिए।इसलीय पैसा वापस करने का मन बना चुके है वही इस पर देखना होगा कि जिला कलेक्टर, जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन इन फर्जी हजारी डालने वालों को पर क्या कार्रवाई करती है ।यह पूरा मामला पांडुका क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत का है। इस मामले में जांच अधिकारी सवालों के घेरे में है।जिसने नियमा विरुद्ध जांच किया है।और पंचायत सचिव ,रोजगार सहायक और मेट को बचाने के लिए कुछ ग्रामीणों की झूठी बयान भी दर्ज किया है। इस तरह कुछ गलत लोगों ने पहले काम में ना जाने की शिकायत की फिर काम में जाने का अपना लिखित जवाब दिया है। ऐसे में अगर इस पर जिले में।कार्यवाही नही होती तो आगे प्रदेश सरकार से जांच की मांग किया जाएगा। जब हितग्राही काम में गए ही नहीं है।तो क्यों काम में जाने की शिकायत की अब जब जांच हुई तो कुछ लोगों ने उसे काम में जाना बताकर मामले को पूरा रफा दफा कर इन कर्मचारियों को बचाने के लिए यह कूट रचना क्यों की है।पर इस पूरे खेला में सचिव और रोजगार सहायक बुरी तरह फसते नजर आ रहे हैं। और कार्यवाही होती है ।तो निश्चित रूप इन कर्मचारियों का निलंबित होना तय है।