मन में छल, कपट, ईर्ष्या, हो तो पूजा करना व्यर्थ है= पंडित पुरन शर्मा

ग्राम छाटा में शिव महापुराण कथा का पांचवा दिन

श्री कार्तिकेय और श्री गणेश जी की जन्म की कथा सुनाई

पाटन। ग्राम छाटा में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन आज पंडित पुरन प्रसाद शर्मा ने श्री कार्तिकेय और श्री गणेश जी की कथा सुनाई। उन्होंने भगवान शंकर ओर माता पार्वती के इन दोनो पुत्र का जन्म का जन्म की कथा सुनाते हुए कहा की जगत का कल्याण के लिए इन का जन्म हुआ। कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य पुरन शर्मा ने कहा की जैसे नारियल पेड़ अपने अनुकूल भूमि पर उगता और पोषित होता है। उसी प्रकार महादेव के प्रति जिसके मन में अकाट्य श्रद्धा होती है, माता पिता के संस्कार उच्च होते हैं, अच्छे कर्म होते हैं उन्हीं व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा एवं भक्ति प्राप्त होती है। अगर मन में छल, कपट, ईर्ष्या, हो तो पूजा करना व्यर्थ है। आगे की कथा सुनाते हुए कहा की जब पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी ‘सती’ कूदकर भस्म हो गईं, तब शिवजी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए। उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो जाती है। इस मौके का फायदा दैत्य उठाते हैं और धरती पर तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैल जाता है। देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। तब ब्रह्माजी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा। इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शंकर ‘पार्वती’ के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिवजी और पार्वती का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है।

कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। इसी तरह भगवान गणेश जी जन्म की कथा भूत सुनाई। इस असवर पर प्रमुख रूप से परायण कर्ता सूरज मिश्रा रायपुर, नोहर यादव, मोंगरा यादव, बलदाऊ यादव, एमिन यादव, बलदाऊ यादव, जामवंतिन यादव, हरी यादव, सावित्री यादव, कविता यादव, किरण यादव, सुमन यादव, रेनू शर्मा, पार्वती यादव, उमा निषाद, भगवती साहू, ओम टंडन, शैल बघेल, सरस्वती साहू, उर्वशी साहू, मेघा वर्मा, संजय वर्मा, जगदीश यादव, भगवती विश्वकर्मा, भूषण वर्मा, मानसी वर्मा, भरत वर्मा, भूषणवर्मा, किशन वर्मा, नारायण चेलक, साहेब दास, बलदाऊ , सहित अन्य मौजूद रहे।

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