अम्लेश्वर में 27 मई से अविरल बह रही शिव महापुराण का पंचम दिवस

  • जल एवं वायु प्रदूषण पर श्रद्धालुओं को किया सचेत
  • वेदना के आंसू से भगवान भी पिघल जाते है- पं. प्रदीप मिश्रा

पाटन।सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की श्री समपर्ण शिव महापुराण कथा अम्लेश्वर में सुना रहे है। कथा के पांचवे दिन उन्होंने शिव भक्तों को भगवान शंकर के पुत्र कार्तिक की कथा सुनाई तो पूर्ण समर्पण श्रद्धा को लेकर एक मार्मिक कथा संत गोरा कुम्हार की कथा भी बताई।
कथा वाचक ने आज जल प्रदूषण पर शिव भक्तों को जल एवम वायु को प्रदूषण से बचाने के लिये मार्मिक अपील किया। उन्होंने कहा की भगवान की पूजा के पश्चात फुल,पत्ती अथवा अन्य सामग्री को किसी नदी या नाले में विसर्जित नही करे, इससे जल दूषित होता है। निर्मल्य को एक गड्ढा में डाले कुछ दिन बाद जब वह खाद बन जाए तो फुल के पेड़ में डाल दीजिए। उन्होंने कहा की पूजा सामग्री में कभी पॉलिथिन अथवा प्लास्टिक का उपयोग नहीं करे इससे प्रकृति को नुकसान होता है। भगवान शंकर ही प्रकृति है।


पूजा का माध्यम जैसे भी हो लेकिन उसमे पूर्ण समर्पण होना चाहिए……

इस संदर्भ को लेकर कथा वाचक पंडित ने एक कथा सुनाई माधो एवम रुकमणी कुम्हार दोनो पति-पत्नी के शिव भगवान की पूजा करने का अंदाज अलग था पत्नी रुकमणी भगवान में जल चढ़ाती फुल चढ़ा कर पूजा करती। पर पति माधव मंदिर के आसपास सफाई करके उसे ही पूजा के रूप में करता था। पंडित ने कहा की भगवान कोई भी हो वे घर मंदिर के अलावा अपने कर्म भूमि को साफ रखने वाले को बहुत ही आशीर्वाद देते है। माधव रूखमणी के समय अनुसार आठ पुत्र जन्म लिय लेकिन जन्म लेते ही काल कल्वित हो गए जिससे मां रूखमणी दुखी हो गई इतनी पूजा करते है फिर भी दुख मिल रहा है। पति माधव ने कहा की भगवान को जरूरत होगी बुला लिया भोले नाथ का दोष नही है। मां ने भगवान कालेश्वर महादेव से लिपट कर वेदना के आसू शिव लिंग में अर्पित कर दिया। वेदना के आंसू से भगवान कालेश्वर भी नरम हो गए वे प्रगट होकर अपने भक्त के आठों नवजात बच्चे जीवित कर दिए।
श्री मिश्रा ने बताया की बड़े का जब निधन हो जाता है उसे शमशान कहते है जो भगवान भोलेनातुंका स्थान है लेकिन जिस जगह पर नवजात शिशु को दफनाया जाता है जिसमे माता गोरी का स्थान है जो बच्चो को अपने गोद में रखती है।


सीहोर वाले पंडित जी ने आंसू का भी जिक्र किया उन्होंने कहा आंसू चार प्रकार के होते है

  1. विडंबना अपने आप को ही पहचान नहीं पाने वाला विडंबना के आंसू रोता है।
  2. वेदना के आंसू किसी से धोखा खाने वाला वेदना के आंसू रोता है,,
  3. विरहा के आंसू किसी के यादों में खो जाने वाला विरह के आंसू रोता है
  4. चौथा नाम का आंसू वंदना है जो भगवान शिव अपने आराध्य के लिय बहते है । भक्त वंदना के आंसू में तो भगवान भी पिघल जाते है और सभी मनोरथ पूर्ण करते है पंडित प्रदीप मिश्रा ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा की भगवान लिंग स्वरूप किसी भी धातु का हो घर में रख सकते है लेकिन पूजा पूरे समर्पण से होनी चाहिए।

पंचम दिवस उन्होंने चार शिव तत्व की प्रेरणा दाई पत्र पढ़ा….

  • रायपुर के पवन खंडेलवाल के जीभ में पिछले पांच वर्ष से छाला हो गया था डाक्टरों ने केंसर की आशंका जताई थी सीहोर से लाए रुद्राक्ष के पानी पीने से ठीक हो गया।
  • पलारी की सरला ठाकुर ने अपने पत्र में अपने आप को गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने से सांस लेने में तकलीफ होना बताया डाक्टरों ने पूरे समय आक्सीजन लगाने की सलाह दी थी लेकिन रुद्राक्ष के जल से पूरी तरह ठीक हो गई।
  • ग्राम सुनारी जमशेदपुर से आई सीमा पति गणेश ने बताया की उनके ससुर को केंसर रोग से मुक्ति भोलेनाथ ने दिलाई।
  • बौरतला जिला बेमेतरा निवासी ममता निषाद देवेंद्र निषाद ने अपनी शिव तत्व पत्र में भोले नाथ की कृपा से सरकारी नौकरी लग जाने की जानकारी दिया।

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