अमलेश्वर में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का दूसरा दिन,कथा स्थल पर मेले जैसा नजारा

  • पुण्य करना पड़ता है पाप अपने आप हो जाता है इसलिये पुण्य करेंप्रदीप मिश्रा

पाटन। पाटन के अमलेश्वर में आयोजित श्री समर्पण शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस अन्तराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने समुद्र मंथन से निकले गरल को शिव जी द्वारा धारण करने के प्रसंग का वर्णन करते हुए माता पार्वती और भगवान शंकर के मध्य हुए संवाद को सुनाते हुए स्त्री की शक्ति और समर्पण भाव का वर्णन कर परिवार में स्त्री के महत्व के सार को समझाया ।उन्होंने कहा शिवकृपा से हो रहे विश्व कल्याण की कथा को सुनने के लिए देश के कोने कोने से लाखो–लाख श्रद्धालु इस चिलचिलाती धूप में भी उपस्थित हो रहे है। जो शिव शक्ति के प्रति समर्पण को दर्शा रहा है।
भगवान शंकर अपने हाथ मे लेकर तुरंत पीने वाले थे।हलाहल जब भगवान शंकर के हाथ मे आया तब उस समय माता पार्वती भगवान शंकर की चेहरा देख रहे थे। उनके चेहरे की दशा देखकर माता पार्वती ने भगवान शंकर से कहा ऐसी कौन से परिस्थिति आ गई है कि आपको जहर पीना पड़ रहा है तब भोलेनाथ ने कहा सारे संसार की हित के लिये,सारे देवताओं के हित के लिये जहर पी रहा हु। तब माता पार्वती कहती है कि आपके उदर में सम्पूर्ण ब्रम्हांड का भरण पोषण है। अगर ये आपके उदर में उतर जाएगा तो सारे ब्रम्हांड नष्ट हो जाएगा।


दुनिया कहती है कि घर के पुरुष को सबसे ज्यादा दुख झेलना पड़ता है लेकिन शिव महापुराण की कथा कहती है कि सबसे ज्यादा दुख नारी को झेलना पड़ता है। एक स्त्री तीज,सोमवार,एकादशी,छठ की उपवास अपने पति, बच्चे अपने परिवार के लिये व्रत करती है। एक स्त्री अपने घर परिवार की आधे से ज्यादा दुख को झेल लेती है। कितनी भी विषम परिस्थिति आये उस विषम परिस्थिति में अपने घर मे अपने दादी, माता, पत्नी,बहन, बेटी के साथ अपने मन की दशा में हो रही बेचैनी एवं उस विषम परिस्थिति पर चर्चा करने से कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा।
निंदा करने वाले निंदा सुनने वाले से दूर रहे…….
शिव महापुराण की कथा कहती है दिल मे किसी के प्रति हृदय में निंदा भरी है। एक दूसरे के प्रति कपट भरा है। उस व्यक्ति के मुख से कितना भी कीर्तन सुन लो कथा का असर नही होता। व्यासपीठ से अगर कोई किसी का निंदा करें तो उन्हें तुरंत खड़े होकर कहे हम भगवान की कथा सुनने आये है किसी की निन्दा सुनने नही। देवर्षि नारद ने भगवान की शंकर का निंदा किया था तो उन्हें बंदर का मुख लग गया था। उपवास केवल फलाहार करने से नही होता किसी का निंदा नही करना ना किसी का निंदा सुनना ये भी उपवास है। इसलिए निंदा करने वाले निंदा सुनने वाले से दूर रहे।
संसार मे जन्म लेने वाला व्यक्ति इतनी जल्दी भगवान शंकर को पहचान नही सकता। जिस दिन भगवान शंकर को पहचान गए। 33 कोटि देवी देवताओं में सबसे सरल भगवान शंकर है। शिवकथा कहती है कि शिवजी पर विश्वास और श्रद्धा रखने से सारे काम होता है। अगर आप भोलेबाबा पर पूर्ण समर्पित हो जाते है तो आपका हर काम पूरा होता है।
जब आप रात्रि में सो रहे होते है तो आपको यह भरोसे होता है कि आपकी धन संपदा एवं सारा सामान घर के अंदर है कोई लेकर नही जाएगा। उसी तरह आपके शरीर जब तक है आप मानकर कर चलो हम भोलेनाथ पर आश्रित है। पापकर्म असत्य,झूठ,प्रपंच,दिखावे से दूरी बनाये रखे। आज की दुनिया मे दान देते है तो उसे पचास बार दिखाते है। पुण्य करना पड़ता है पाप अपने आप हो जाता है इसलिये पुण्य करें। इसलिये जितना बन सके पुण्य करते रहे।
पत्र पढ़कर बताई महादेव की कृपा…….
ललिता साहू जामुल गणेश नगर के घर 21 साल बाद पुत्र हुआ नाम शिवाय रखा है।
राधिका यादव रायपुर 10 साल बाद संतान हुआ।
अम्बिका ग्राम सम्हर, तेंदुकोना बागबाहरा का आर्मी में नौकरी लग गया।
सरिता बरठी रायपुर माताजी तीन साल बिस्तर पर थी आज पूर्ण स्वस्थ है।
विनीता यादव बिरोदा महासमूंद 5 वर्ष की आयु में आँख से दिखना बंद हो गया था अब देख सकते है।
कामेश्वर चौहान अवंति बाई चौक कोहका भिलाई वेल्डिंग करते समय कांख में लोहे का टुकडा घुस गया था 7 साल बाद लोहे का टुकड़ा शिवजी की कृपा से अपने आप निकल गया।

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