खबर हेमंत तिवारी
छुरा/ ब्लॉक मुख्यालय छुरा से लगभग 15 किमी दूर वनांचल क्षेत्र ग्राम पंचायत कोठीगांव से आश्रित गांव सराईपाली में होलिका दहन के बाद लोग नंगे पांव धधकते अंगारो पर चलते है । ये परंपरा लगभग 150 वर्षो से भी पूर्व से चले आ रहा है। लोगों का मानना है कि होलिका दहन के बाद बने अंगार पर चलने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस परंपरा को लोग खुशी से आज भी स्वीकार करते हैं, लोगों की इस बात पर बहुत आस्था है कि इस परंपरा को मानने से गांव में न तो अशांति होती है और न ही गांव में किसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप होता है।
लोग होलिका दहन के पहले गांव की देवी माता डोकरी बूढ़ी मांई को याद करते हैं। सबसे पहले पुजारी जलते हुए अंगार को नंगे पांव पार करते हैं, इसके बाद अन्य ग्रामीण नंगे पांव गांव की देवी का नाम लेते हुए इसे पार कर जाते हैं।इस तरह इस रिवाज को निभाने में बच्चे भी शामिल होते है और खुशी खुशी अंगारों में पैदल चलकर अपनी आस्था बरकरार रखे है।इस होलिका दहन में लकड़ियों और कंडे का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद ग्रामीण राख के ठंडा हो जाने पर उसे अपने घर ले जाते हैं। उसका टीका भी लगाते हैं। फिर होली मनाते है। ग्राम के सालिक राम सोरी , दयालू राम कुंजाम. सुजजन सिंग कुंजाम सहित अनेक ग्रामीणों ने बताया की यह हमारी मूल रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही परंपरा है जो आज की पीढ़ी इसे निभाने में सक्षम है और हमारे बाद नई पीढ़ी इसे निभायेंगे और इस परंपरा को जीवित रखने के लिए उत्तरदाई है इस परंपरा के कारण गांव में सुख शांति आती है जिससे गांव की देवी देवता भी प्रसन्न होते हैं।तथा गांव में माता का आशीर्वाद बना रहता है।वा भगवान के प्रति भक्त प्रह्लाद की अटूट विश्वास और भक्ति का प्रतीक होली त्योहार को पूरे गांव में धूम धाम से मनाते है।।