खबर हेमंत तिवारी
छुरा/( पाण्डुका )प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी वन मंडल गरियाबंद के विभिन्न वन परीक्षेत्र के जंगलो में आग लगाने का काम बदस्तूर जारी है। ज्ञात हो कि जंगल को आग से बचने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। और हकीकत यह है कि यह आयोजन केवल एक सभा और आयोजन तक ही सीमित रह जाता है जबकि हर साल इस तरह जंगलों में आग लगती है जिसे बुझा पानी में कर्मचारी अधिकारी चौकीदार और फायर वाचर नाकाम साबित होते हैं ।
और आग बुझाने के लिए लाखो रुपए फूंक दिया जाता है पर अंतः जंगल आग की लपटों से नही बच पता इसी तरह जतमई व घटारानी के जंगलों में इन दिनों आग लगी हुई है जिसे बुझाने वाला कोई नहीं दिखा शुक्रवार दोपहर 1 बजे आग बढ़ाते हुए नव निर्मित सड़क तक आ पहुंचा जहां सड़क निर्माण के कारण काटे गए पौधे के अवशेषों में आग लगकर जंगल धुआं धुआं हो रहा था हर साल ग्रामीण महुआ बिने के चक्कर में जंगलों में आग लगाकर चुप चाप रफू चक्कर हो जाते हैं और वह आग जंगल में धीरे-धीरे बढ़ते हुए समूचे जंगल को अपनी चपेट में ले लेते हैं जिसमें छोटे-छोटे पेड़ पौधे वन्य जीव तो मर ही जाते हैं साथ ही बड़े-बड़े जंगली जानवरों के लिए भी उनके रिहाईसी इलाकों में खतरा बढ़ जाता है।इस तरह आग लगने से खास कर नए पेड़ पौधे नष्ट हो जाता है। विभिन्न प्रकार के आग बुझाने के दावे केवल दिखावे और कागज तक ही सीमित होता है असलियत में आज तक कोई कारगर उपाय वन विभाग बना ही नही पाया है।जो सही साबित हो यही वजह है कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी यह कार्य शुरू हो गया है। जतमाई घटारानी की जंगलों में आग लगा हुआ है वन परिक्षेत्र पांडुका के अंतर्गत आने गाय डबरी वृत्त में आने वाले जतमाई , घटारानी का मनोरम दृश्य इन्हीं कारण से दिन-ब-दिन प्राकृतिक सौंदर्य खत्म होता जा रहा है सवाल यह है कि अब इसे बचाए रखने की जिम्मेदारी किसकी होगी । इस प्रकार यह प्रक्रिया चलता रहा तो इस प्राकृतिक सौंदर्य स्थल बेरंग हो जायेगा और सैलानी यहां आना बंद कर देगा।क्यों की हरे भरे जंगल को देखने लोग यहां आते है।