खुले में शौचमुक्त गाँव बना,ग्राम पंचायत रिसामा को लगे चार चांद


उतई। प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत जिले में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत रिसामा को स्वच्छ बनाया गया। इस मिशन के अंतर्गत रिसामा में वृक्षारोपण एवं बागवानी किया गया है। जिसमें ग्रीन स्टेशन को खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है। स्वच्छता निगरानी के लिए ग्राम पंचायत में सीसीटीवी कैमरा स्थापित किया गया है। स्वच्छता अभियान के दौरान 2.20 लाख की लागत से सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है। इसी तरह 3.64 लाख की लागत से सेग्रीग्रेशन शेड का निर्माण किया गया जिसमे मनरेगा के अंतर्गत कचरा कलेक्शन किया जा रहा है। 34 हजार 500 परिवार को 20 रू. की दर से प्रति माह 16 हजार रूपए स्वच्छता हितग्राहियों को भुगतान किया जा रहा है तथा सार्वजानिक स्थलों की साफ-सफाई की जा रही है।
कचरा कलेक्शन हेतु 40 हजार लागत से 2 ट्राई साईकल, 1 ई-रिक्शा दिया गया। जिससे ग्राम पंचायत के स्वच्छताग्राही को कचरा कलेक्शन कर कचरे का निपटारा किया जा रहा है। सेरीकेशन शेड में कचरे को अलग-अलग कर खाद बनाने की प्रक्रिया की जा रही है।
ग्राम पंचायत रिसामा में मनरेगा के माध्यम से रेल्वे स्टेशन मे 3000 पौधे रोपण किए गए है। साथ ही ग्राम पंचायत द्वारा डस्टबिन भी रखा गया है। इससे रेलवे स्टेशन परिसर में स्वच्छता के साथ सुन्दरता भी बनी है। रेल्वे स्टेशन के इस दृश्य को देखकर रेल्वे बोर्ड द्वारा ग्रीन रेल्वे स्टेशन का नाम दिया गया है। रिसामा रेल्वे स्टेशन स्वच्छता का प्रतीक बन गया है। आज से आठ नौ वर्ष पूर्व गांव की स्थिति आज जैसी नहीं थी, लोग घरों से बाहर जाकर सड़कों के दोनों किनारे शौच करने जाने से गंदगी फैली
शौच करने जाने से गंदगी फैली रहती थी। स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत हर घर शौचालय बनाया गया तथा इसके इस्तेमाल के लिए जन जन को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत लोगों को खुले में शौच करने के हानिकारक परिणाम तथा शौचालय के इस्तेमाल से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया। जहां हर वर्ष इस गांव में हैजा, डायरिया, जल जनित रोगों का प्रकोप रहता था वहीं अब शौचालय के इस्तेमाल से बीमारियां ना के बराबर होने लगी है। जिसका सीधा असर उनकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ने लगा। पहले की तुलना में अब उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है। लोगों को यह परिवर्तन समझ आने लगा और आज मेरा गांव खुले में शौचमुक्त गांव है।

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