हेमंत तिवारी की कलम से—–—–पाण्डुका/वन परिक्षेत्र पांडुका के जंगल से लगे गांव में हाथियों का उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा तो वही बीते दिनों अंचल में दो नर हाथी अलग-अलग दिशा से आकर एक दूसरे से नागझर डोंगरी में मिले और फिर विपरीत दिशा मेंअलग अलग चले गए ।मतलब की महासमुंद से में me1 नामक हाथी आकर इस वक्त धमतरी जिला की ओर बढ़ रहा है। जो वर्तमान में पोंड नर्सरी के आसपास नेशनल हाईवे 130 में बताया जा रहा है वहीं दूसरी हाथी जो Me3 जो इस समय झरझरा मंदिर के पास होना बताया जा रहा है जो पांडुका परिक्षेत्र के दीवना बिट में में मौजूद था और दोपहर 3:00 बजे जतमई घटारानी मंदिर के मुख्य मार्ग में निकल आया ।आगे महासमुंद जिले की ओर बढ़ने की संभावना जता रहे हैं।बता दे कि नवरात्र की वजह से इस मार्ग पर दर्शनार्थियों का आना-जाना लगा है ऐसे में वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी और हाथी मित्र दल के सदस्य पहले से मौजूद था । और दर्शनार्थियों को हाथियों की जाने तक दोनो तरफ रोके रखा हाथियों के सड़क से सुरक्षित निकलने के बाद ही उन्हें दोनों तरफ से आने जाने के लिए छोडा गया । जो झर झरा मंदिर की ओर बढ़ गया इस प्रकार खेतों के बीचो-बीच हाथियों का आवागमन से पका पकाया धान का फसल तो बर्बाद हो रहा है साथ ही हाथियों का गरियाबंद जिला और फिंगेस्वर वा पांडुका परिक्षेत्र मुख्य रूप से निवास स्थान बनता जा रहा है।जिसका मुख्य कारण परिक्षेत्र सहित जिलों में हाथियों के लिए अनुकूलता की वजह से हाथियों का आगमन बढ़ गया है और बीते 2 साल से झुंड के बजाय दो या तीन या फिर सिंगल हाथी आवागमन कर रहे हैं जो वन विभाग के लिए सर दर्द बना है। साथ ही ग्रामीणों के लिए किसी सर दर्द से काम नहीं है।तो लोगो के लिए एक प्रकार का मनोरंजन भी बन गया है। बहर हाल दोनों हाथियों के मोमेंट पर वन विभाग की टीम नजर बनाए हुए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य जनहानि रोकना है इसलिए फोन मोबाइल व्हाट्सएप मैसेज सोशल मीडिया के माध्यम से सचेत करते रहते हैं।