मर्रा में हुआ विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन

पाटन। विश्व में 9 अगस्त के दिन विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उदेश्य पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले आदिवासियों का अस्तित्व दुनिया के सामने रखना और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है। गौरतलब है कि आदिवासी हमेशा से कई सामाजिक परेशानियों का सामना करते रहे हैं। ऐसे में हर देश की सरकारें इनकी हिफाजत और इन्हें सम्मान दिलाने के उद्देश्य से कड़े कदम उठाती रहती हैं। इसी तारतम्य में रविवार को ग्राम मर्रा में विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन किया गया ।


आदिवासी संस्कृति के अनुसार आदिवासी समाज के युवक व युवतियों की वेशभूषा पूर्ण रूप से आदिवासी संस्कृति के अनुरूप थी । सर्वप्रथम आदिवासी युवक व युवतियों ने अपनी संस्कृति अनुसार ग्राम में गौरा गौरी की मूर्ति स्थापना कर बाजार चौक से पूरे गांव में भ्रमण कर डीजे की धुन में आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाई, जहां युवतियां जहां आदिवासी करधन, केंवची, ऐंठी, कौड़ी माला, रुपया माला सहित अन्य आदिवासी परंपरा के अनुपरूप नजर आएं वहीं आदिवासी युवक भी अपने पौराणिक वेशभूषा में नृत्य करते दिखे । रात्रि में बारह ग्राम से आये आदिवासी युवक एवं युवतियों द्वारा मंचीय कार्यक्रम भी आयोजित की गई।
उपस्थित सामाजिक अतिथियों ने विश्व आदिवासी दिवस पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1982 के दौरान जिनेवा में आयोजित एक बैठक में हुई थी। इस बैठक में मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह निर्णय लिया था कि आदिवासी लोगों के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए। जिसके बाद पहली बार दिसम्बर 1994 में महासभा ने इस दिन को मनाने का फैसला किया था। दुनियाभर के करीब 90 से भी अधिक देशों में आदिवासी निवास करते हैं। ये आदिवासी जंगलों से लेकर कस्बों और नगरों में निवास करते हैं और हजारों प्रकार की भाषाएँ बोलते हैं। इतनी अधिक आबादी होने के बावजूद भी आदिवासियों को कई बार अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आदिवासियों की इसी अवस्था को देखते हुए उनके अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।
कार्यक्रम में आदिवासी गोंड समाज के पदाधिकारी गुहा राम नेताम, संतलाल नेताम सहित नीलकंठ ठाकुर, रवि ठाकुर, कार्यक्रम संयोजक पालेश्वर ठाकुर , तृप्ति नेताम, पूजा ठाकुर, गीतू ठाकुर, दिनेश ठाकुर, जनक ठाकुर, पप्पू ठाकुर , दुलेन्द्र ठाकुर, टिकु ठाकुर, ईशा नेताम, निम्मी नेताम, यामिनी ठाकुर, मोंटी नेताम, ट्विंकल, नानू, जनक , दुर्गा नेताम , पम्मी, कुमकुम, शालिनी, दुर्गा, रुचि, चंचल, तारिणी सहित ग्रामीण जन मौजूद थे ।

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