रात में हाथियों ने किया बड़ी को तहस-नहस दीवाल भी तोड़े,,,,,,,,,,सांकरा ,मुरमुरा बिट सुरक्षित स्टेशन बन गया है हाथियों का

खबर हेमंत तिवारी । पांडुका/ वन परिक्षेत्र पांडुका और फिंगेश्वर इन दिनों हाथियों का सुरक्षित विचारण केंद्र और स्टेशन बना हुआ है ।यह हाथी पिछले लगभग 4 सालों से फिंगेश्वर और पांडुका परिक्षेत्र से होकर धमतरी जिला और महासमुंद जिला आना-जाना कर रहा है। जिसका मुख्य स्टेशन ग्राम तौरंगा के ऊपर जंगल ,झरझारा मंदिर और बंनपैसा जंगल सहित नांगझर के जंगल भी शामिल है बता दे की पिछले लंबे वक्त के बाद हाथियों का दाल में से दो दतेल हाथी पैरी नदी पार कर घटारानी जंगल जमाही मार्ग तक पहुंच गया था।पर वहां से पुनः फुलझर खदरही वापस होते हुए साकरा बीट के पागल बांध होते हुए तौरंगा गांव में रात्रि लगभग 1 बजे माधवराम सेन के घर से लगे बाड़ी में पहुंच गया दोनों दंतेल ने खूब उत्पात मचाया और घर में लगे सब्जी भांजी सहित केला, पपीता, और गन्ना को खूब नुकसान पहुंचाया इसके बाद जतमई मुख्य मार्ग होते हुए । बन पैसा जंगल की ओर चला गया। तो वही पीड़ित माधवराम सेन ने बताया कि इससे पहले भी हाथी मेरे

खलिहान और बाड़ी में पहुंच चुका है ।उस समय खलिहान में रखे धान को नुकसान पहुंचाया था। पता नहीं मेरे ही बाड़ी में हाथियों का आना-जाना क्यों है। बता दें कि हाथी के दल में से एक और दूसरा हाथी बीती रात्रि पैरी नदी पार कर गरियाबंद मुख्य मार्ग 130 होते हुए नागझर, विजयनगर होते हुए बनपैसा जंगल में विचरण कर रहे हैं वन विभाग से मिली जानकारी अनुसार तीनों हाथी अभी आपस में मिल गए हैं और शाम को होते हैं फिर इनका मोमेंट चालू हो जाएगा हालांकि वन विभाग की टीम आगे पीछे लगे हुए हैं एवं पूरी रात गश्त कर रहे हैं साथ ही लोगों को समझाइश भी दे रहे हैं ताकि किसी प्रकार का कोई अप्रिय घटना ना हो जन हानि धन हानि से बचे रहे और इन हाथियों को सुरक्षित जंगल की ओर जाने दे इस प्रकार परिक्षेत्र अधिकारी पांडुका तरुण तिवारी ने लोगो से अपील कर रहे हैं।साथ ही शाम और रात को आने जाने वाले राहगीरों खासकर जतमई मार्ग पर आने जाने वाले को ,,पर कुछ लोग जान बुचकर वन विभाग की बातों को अनसुना और नजरअंदाज कर रहे हैं। कही यह नजरअंदाज भारी ना पड़ जाए मौके पर रेंजर, डिप्टी रेंजर, बिट गार्ड सहित गज दल के सदस्य गस्त कर रहे हैं और हाथियों के हर मूमेंट पर नजर बनाए हुए हैं।बाहर हाल हाथियों के उत्पात से जिन किसानों का नुकसान हुआ है उन्होंने वन विभाग मुआवजे की मांग की है।

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