आईएसबीएन विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति पर अंत राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया

छुरा – आईएसबीएम विश्वविद्यालय नवापारा (कोसमी) छुरा गरियाबंद छत्तीसगढ़ के कला एवं मानविकी संकाय द्वारा नई शिक्षा नीति : उच्च शिक्षा में अवसर एवं चुनौतियाँ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसी शिक्षा प्रणाली को तैयार करना है जो भारत के सभी बच्चों को लाभान्वित करे। इसका लक्ष्य “भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति” बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों की नई गुणवत्ता को स्थापित करना आसान बनाना है जो वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा। विभिन्न शोधकर्ताओं एवं विद्वानों द्वारा इस विषय पर शोध पत्र लिखकर विचारों की विस्तृत चर्चा करना था। इस कार्यक्रम में देश ही नहीं अपितु विश्व भर के विभिन्न स्थानों से विद्वतजन, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया तथा अपने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। सरस्वती वंदना एवं राजकीय गीत बी.ए. तृतीय वर्ष की छात्रा रुपाली साहू एवं बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा बिंदु साहू के द्वारा प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् अतिथियों का स्वागत हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. (प्रो.) रयो ताकाहाशी, अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ सोवेरेगें नेशन्स जापान, डॉ (प्रो.) शांता मिश्र, डी. लिट्. मनोविज्ञान, प्रो. इन भुबनेश्वर ओड़िसा, प्रो. इरिना एल. पेर्वोव, एस पी बी स्टेट यूनिवर्सिटी, रूस और डॉ. स्वाति चक्रबर्ति, वैंकोवर, कनाडा वर्चुअल मोड माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्य वक्ता डॉ. (प्रो.) रयो ताकाहाशी ने कहा कि भारत और जापान की शिक्षा देखी जाए तो उनमें काफी अंतर देखने को आपको मिल सकता है जैसे कि वहां पर एक आम बच्चे को उसके हिसाब से कैरियर चुनने का पूरा पूरा अधिकार है लेकिन भारत में अभी भी माता-पिता के हिसाब से बच्चों को कैरियर चुनना होता है। शायद बच्चे में इसका सफल विकास ना हो पाए लेकिन फिर भी उसको मजबूरी में यह चीजें करनी पड़ती है। जापान में ऐसा नहीं है, जापान में अगर आपके अंदर कोई टैलेंट है तो उस हिसाब से आपको कैरियर के लिए उत्साहित किया जाएगा एवं जापान की सरकार भी इस क्षेत्र में बहुत बड़ा भुगतान करती है। क्योंकि उनका यह मानना है कि जितनी ज्यादा शिक्षा व्यवस्था यहां की सुदृढ़ होगी देश उतना ज्यादा आगे बढ़ेगा। डॉ (प्रो.) शांता मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों के बीच संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण लाना है। ततपश्चात प्रो. इरिना एल. पेर्वोव ने कहा कि दोनों देशों की शिक्षा प्रणालियों की तुलना करने पर कई उल्लेखनीय पहलू सामने आते हैं। कनाडा में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के अलावा, छात्रों को अपने परिवार को साथ लाने और छात्रवृत्ति और अध्ययन कार्यक्रमों के दौरान काम करने के माध्यम से अपनी पढ़ाई को वित्तपोषित करने का अवसर भी प्रदान किया जाता है। इसे भारत में भी लागू करने की आवश्यकता है। इसके पश्चात सभी शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। सभी शोधार्थियों ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं जैसे व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षा में तकनीक का उपयोग और शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने नीति को लागू करने में आने वाली चुनौतियों और उन्हें दूर करने के संभावित समाधानों के बारे में भी बात की। आईएसबीएम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ आनंद महलवार ने कहा कि भारत के शिक्षा जगत के सामने आधुनिक विज्ञान और तकनीक को साथ लेकर गुणवत्तापूर्वक समावेशी शिक्षा देने की सबसे बड़ी चुनौती है, इस काम में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कुलसचिव डॉ बी पी भोल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस नहीं किया गया है, बल्कि छात्रों के संपूर्ण विकास की बात की गई है। जब जब देश में शिक्षा नीति बनाई गई कुछ न कुछ बदलाव किया जाता रहा है। अब जब नई शिक्षा नीति बनाई गई है तो इसमें भी कई तरह के बदलाव किए गए हैं। इंडस्ट्री में किस तरह के लोगों की जरूरत है उस को ध्यान में रखकर छात्रों को पढ़ाया जाएगा। संयुक्त कुलसचिव डॉ रानी झा ने कार्यक्रम में शोधार्थियों एवं विद्वानों द्वारा दिये गए शोध एवं वक्तव्य का सार प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम संयोजक और कला एवं मानविकी संकाय विभागाध्यक्ष डॉ गरिमा दीवान ने किया। स्वागत भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ भूपेंद्र साहू ने किया। तकनीकी सहायता में दिपेश निषाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. डायमंड साहू, डॉ. संदीप कुमार साहू, प्रीतम साहू, अश्विनी साहू एवं मुकुल ठाकुर का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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