लोकेश्वर सिन्हा@गरियाबंद। गरियाबंद जिले के मॉडल गौठान ग्राम सढ़ौली डेयरी हब बनने की ओर अग्रसर है। आज से कुछ साल पहले गांव के कुल 600 पशुओं में कुछ गिनती के 40-50 ही पशुओं में टिकाकरण, बधियाकरण और कृत्रिम गर्भाधान हो पाता था। पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के लगातार समझाइश व विभागीय कार्य जैसे पशु चिकित्सा सेवा और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन द्वारा आज ग्राम सढ़ौली सही मायने में मॉडल बनने की ओर अग्रसर है। पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ डॉ. तामेश कंवर के अनुसार आज सढ़ौली के पशु पालको द्वारा अपने पशुओं का शत प्रतिशत टिकाकरण, बधियाकरण, बीमार पशुओ का तत्काल उपचार, कृत्रिम गर्भाधान में धीरे-धीरे वृद्धि, पैरा यूरिया उपचार द्वारा पशु पोषण, तथा अन्य विभागीय योजना में काफी रुचि लिया जा रहा है। गौरतलब है कि विकासखण्ड गरियाबंद के एक मात्र विकसित चारागाह सढ़ौली में ढ़ाई एकड़ में नेपियर घांस की सबसे उन्नत/बेहतरीन किस्म बी.एन.एच – 10 लगी हुई हैं, जिसे 2 माह बाद खरीफ सीजन में जिले के सभी चारागाह और अन्य पशुपालक के यहाँ कलम सप्लाई किया जाएगा। नेपियर की ये किस्म पूरे छत्तीसगढ़ में सिर्फ गरियाबंद ब्लॉक में उपलब्ध है। इसके अलावा विभाग की ही बकरी उद्यमिता विकास योजना द्वारा उन्नत मेमनों का उत्पादन भी हितग्राहियों के यहाँ शुरू हो गया है। डेयरी उद्यमिता विकास योजना द्वारा 4 डेयरी का सफलता पूर्वक संचालन हितग्राहियांे द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति में 100 लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन हो रहा है। जो आगामी आने वाले माह में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। पशु चिकित्सालय गरियाबंद की टीमवर्क और गौठान ग्राम सढ़ौली के जागरूक पशुपालकांे क्रमशः भरतलाल ध्रुव, मोहनलाल ठाकुर, दुष्यंत चन्द्रवंशी, मदनलाल ध्रुव, बोधनी बाई यादव, विश्राम कंवर आदि के सराहनीय योगदान से आज गौठान ग्राम सढ़ौली डेयरी हब बनने की ओर अग्रसर है। उक्त गांव में पशु चिकित्सा विभाग द्वारा सुअर पालन ईकाइ भी स्थापित की गई है। वहीं गांव के फुलेश्वरी कश्यप और यशपाल ठाकुर जैसे कई अन्य लोग भी बकरी पालन को आमदनी का अतिरिक्त जरिया बनाकर कर गांव के अन्य कृषकों को भी इस ओर आकर्षित कर रहे हैं।