रायपुर. राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का तीन दिवसीय आयोजन 27 से 29 दिसम्बर तक किया जा रहा है। इस महोत्सव में देश के 25 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ ही 6 देशों के लगभग 1350 से अधिक प्रतिभागी अपनी जनजातीय कला संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे।
इस महोत्सव में 39 जनजातीय प्रतिभागी दल 4 विभिन्न विधाओं में 43 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन करेंगे। चार अलग-अलग नृत्य विधा में प्रथम पुरस्कार पांच लाख रूपए, द्वितीय पुरस्कार तीन लाख रूपए, तृतीय पुरस्कार दो लाख रूपए एवं सांत्वना पुरस्कार पच्चीस हजार रूपए रखी गई है। प्रतिभागियों की आवास, भोजन, आवागमन आदि संबंधित उचित व्यवस्था की गई है। इस महोत्सव में अरूणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, लददाख, जम्मू, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, अण्डमान निकोबार, उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ आदि राज्य के 39 जनजातीय प्रतिभागी 4 विभिन्न विधाओं में 43 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन करेंगे। इन्हीं के साथ 6 अन्य देश जैसे युगांडा, मालदीव, बांग्लादेश, बेलारूस, श्रीलंका एवं थाईलैण्ड से आ रहे 54 प्रतिभागी गैर प्रतियोगी स्पर्धा में अपनी नृत्य शैली का प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव में भाग लेने वाले लोक कलाकरों का दलों का आगमन होने लगा है और अरूणाचल प्रदेश के प्रतिभागी 24 दिसम्बर को रायपुर पहुंच रहे हैं।
इस महोत्सव में प्रतिभागी प्रति दिन प्रात: 9.00 बजे से लेकर रात्रि 9.00 बजे तक अपनी कला-संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। अलग-अलग दिवसों में विजेताओं के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर के जनजातीय कला-विशेषज्ञों की जूरी गठित की गई है जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, झारखण्ड, गोवा, उड़ीसा, असम, सिक्किम एवं छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ शामिल किये गये हैं।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव छत्तीसगढ़ राज्य में पहली बार आयोजित हो रहा है। जिसमें छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की जनजातीय कला-संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन देखने को मिलेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य की बहुरंगी आदिवासी सांस्कृतिक परंपरा से पूरा देश और महोत्सव में आए अन्य देश परिचित हो सकेगा।
छत्तीसगढ़ जनजातीय बाहुल्य राज्य है जो राज्य की आबादी का 30.62 प्रतिशत है तथा राज्य में शासन द्वारा 42 जनजातियां अधिसूचित हैं। राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव से राज्य की जनजातीय संस्कृति की राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनेेगी।इस महोत्सव की तैयारी के लिए शासन के 15 से अधिक विभाग निरंतर कार्यरत हैं। जो सुरक्षा, आवास, आवागमन, चिकित्सा आदि प्रारंभिक व्यवस्थाओं की सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। महोत्सव की मॉनीटरिंग स्वयं मुख्य सचिव द्वारा एवं अन्य प्रशासनिक उच्च अधिकारियों द्वारा की जा रही है।