रायपुर। बसपन का प्यार गीत गाकर स्टार बने सहदेव दिरदो को फिल्म में रोल मिला है। मोबाइल स्क्रीन पर वायरल हुआ सहदेव जल्द ही बड़े पर्दे पर फिल्म में एक्टिंग करता दिखेगा। उसे छत्तीसगढ़ की बेहद चर्चित बायोपिक में अहम रोल मिला है। सहदेव को फिल्म के मेकर्स ने छत्तीसगढ़ के पहले स्वर्गीय CM अजीत जोगी के बचपन का किरदार निभाने के लिए फाइनल किया है। अजीत जोगी छत्तीसगढ़ बनने के साथ ही सन 2000 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। वे प्रदेश के प्रभावशाली नेता थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बना ली थी।
अजीत जोगी पर बायोपिक बनाई जा रही है। इस फिल्म के मेकर्स ने हाल ही में रायपुर में सहदेव से मुलाकात की है। अब सहदेव को अजीत जोगी के चाइल्ड कैरेक्टर के लिए फाइनल कर दिया गया है। यह फिल्म अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी के कंसल्टेशन में राजश्री सिनेमा के बैनर तले बन रही है। फिल्म के निर्माता मनोज खरे, अरविंद कुर्रे हैं। संगीतकार हेमलाल चतुर्वेदी ने इस फिल्म के लिए बॉलीवुड सिंगर उदित नारायण के साथ गाना रिकॉर्ड किया है।
डायरेक्टर सिखा रहे एक्टिंग
इस फिल्म के डायरेक्टर देवेंद्र जांगड़े हैं, देवेंद्र ने बताया कि उन्होंने खुद सहदेव को अजीत जोगी के बचपन के किरदार के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके साथ ही फिल्म के डायरेक्टर का मानना है कि कैमरे के सामने सहदेव अच्छा परफॉर्म करते हैं। एक आदिवासी लुक के बच्चे की तलाश थी। सहदेव इस रोल के लिए सटीक साबित हुआ है।
गिरौदपुरी में होगी शूटिंग
फिल्म से जुड़े सूत्रों ने बताया कि 25 जनवरी से फिल्म की शूटिंग शुरू होने जा रही है। पहले चरण के शूट में अजीत जोगी के बचपन को फिल्माया जाएगा। अजीत जोगी का गांव और उनके बचपन की पढ़ाई, स्कूलिंग वगैरह को दिखाया जाएगा। इस फिल्म में दिखाया जाएगा कि एक गरीब आदिवासी परिवेश का बच्चा कैसे प्रोफेसर बना, IPS और IAS बना और कैसे देश के नए राज्य छत्तीसगढ़ का पहला CM। इस प्रोजेक्ट से अजीत जोगी की पत्नी रेणू जोगी जुड़ी हैं, फिल्म मेकर्स के साथ वो अजीत जोगी की जिंदगी से जुड़े पहलू शेयर कर रही हैं।
अजीत जोगी और उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से
जन्म और मृत्यु की तारीख– छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल 1946 को अजीत जोगी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम था स्वर्गीय काशी प्रसाद जोगी। संयोग है अजीत जोगी 29 अप्रैल को जन्में और उनका निधन 29 मई को हुआ।
जोगी के शौक और रिकॉर्ड– जोगी को घुड़सवारी, ग्लाइडिंग, स्विमिंग, योगा, ट्रैकिंग, शिकार करना किताबें पढ़ना और तांत्रिक विज्ञान की जानकारी रखने का शौक था। रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में साल 1967-68 में लेक्चरर रहे। 1968 से 70 तक आईपीएस रहे, 1970 में आईएएस बने। आजाद हिंदुस्तान में 12 वर्षों तक कलेक्टर रहने का इनके नाम रिकॉर्ड है।
पहला नेता जिसने स्टांप पेपर दिया– 2018 विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने चुनावी वादे स्टांप पेपर पर दिए। यह पहला मौका था जब राज्य में किसी नेता ने ऐसा कदम उठाया। जोगी ने कहा था कि हम जो भी वादे करेंगे। वह हर हाल में पूरा करेंगे। यदि एक भी वादे पूरे नहीं होते हैं तो मैं जेल जाने को तैयार हूं।
मिली थी अजीब सजा– गांव के स्कूल में जोगी की पढ़ाई हुई। एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि स्कूल में वो शरारती थे। एक दिन मास्टर ने उन्हें दो लड़कियों के बीच बैठने की सजा दे दी थी।
इस वजह से बने कलेक्टर – उन्होंने बताया था कि गांव के लोग कलेक्टर के पैर छूते थे, जब भोपाल में पढ़ रहे थे तो अफसरों का रुतबा देखा, आईपीएस में चुने गए तो वहां आईएएस में चयनित लड़कों को खुद को ऊंचा बताया, तब आईएएस बनकर दिखाया। ये परीक्षाएं जोगी ने सामान्य वर्ग से पास की थीं।
प्रेम भी हुआ था– आईएएस की तैयारी के दिनों में एक लड़की से अजीत जोगी को प्रेम हो गया था, एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस पर परिजन राजी नहीं थे। फिर उनका विवाह परिजन ने रेणू जोगी से तय किया। परिवार वालों की बात रखने के लिए जोगी ने उस युवती से संबंध खत्म कर लिए थे।
जोगी की पसंद– अजीत जोगी, अफसर रहने के दौरान कई बार वक्त मिलने पर फिल्में देखा करते थे। दिलीप कुमार और मधुबाला उनके पसंदीदा कलाकार रहे। इन कलाकारों के गाने वो अपने साथ रखा करते थे। खाने में उन्हें मुनगा, बड़िया, भाजियां पसंद थीं।
बेटी की मौत– किसी वजह से अजीत जोगी की बेटी ने खुदकुशी कर ली थी। घटना के कारणों को लेकर कई तरह की चर्चाएं थीं। जोगी ने खुद अपनी बेटी के शव को मध्यप्रदेश के एक शहर की कब्र से निकलवाया था। ऐसा उन्होंने बेटी की देह को पैतृक जगह में दफनाने के लिए किया था।
सड़क हादसा- अजीत जोगी ने मार्च 2016 में गरियाबंद के मैनपुर के नजदीक बोईरगांव के किसान सम्मेलन में कहा था कि मुझे मारने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लिया गया था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार से लौटते वक्त मैनपुर क्षेत्र में ही जोगी की कार एक पेड़ से टकरा गई थी। तब से अजीत जोगी चल नहीं पाए व्हील चेयर में उनकी बाकि की जिंदगी बीती।
जोगी की जाति– पिछले 30 सालों से अजीत जोगी की जाति को लेकर विवाद जारी है।