एक नवम्बर से हो धान खरीदी अन्न दाताओं को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो-जितेंद वर्मा

पाटन। भाजपा विधायक दल के स्थायी सचिव जितेंद वर्मा ने कहा कि एक नवम्बर से कांग्रेस सरकार को हर हाल में धान खरीदी चालू करना चाहिए। क्योंकि धान की कटाई चालू हो गई है किसानों के पास धान रखने के लिए (कोठी) कोठार नही है। जिससे धान के रख रखाव की व्यवस्था नही है। छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी के शासनकाल में 15 साल किसान धान मिसाई करते ही तत्काल सेवा सहकारी समितियों में धान बेच देते थे। यह प्रणाली लगातार चल रहा था जिसके वजह से किसान घरों में कोठी या कोठार धान संग्रहण हेतु बना के रखे थे उनको जरूरत नहीं पड़ता करके समाप्त कर चुके हैं ।कटा हुवा धान खेतों में पड़ा हुआ है। अगर बारिश होती है तो धान खराब होने की पूरी संम्भावना है। इसके लिए धान की खरीदी में देरी अन्नदाताओं को भारी पड़ सकती है। धान खरीदी के साथ साथ बारदाना की पूरी व्यस्था करे। पिछले साल बारदाना के अभाव के कारण अन्नदाताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। खुले में रखा धान पूरी तरह बर्बाद हो चुका था। श्री वर्मा ने आगे कहा कि इस वर्ष सिंचाई के लिए पानी नही उपलब्ध होने के कारण फसल की स्तिथि ठीक नहीं है। बीच बीच में अल्पवर्षा के कारण धान की फसल को नुकसान हुआ है। श्री वर्मा ने कहा कि मैं दुर्ग जिले के किसानों से सतत संम्पर्क में हूँ किसानों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुवे बताते है कि मौसम की दोहरी मार के कारण सही फसल नही हुई है अगर धान खरीदी में देर हुई तो किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अतः सूबे की कांग्रेस सरकार से मेरी मांग है कि अन्नदाताओं की धान खरीदी एक नवम्बर से शुरू करे ताकि उनको धान के भंडारण में किसी प्रकार की समस्या ना हो। उन्होंने राज्य सरकार से निवेदन किया है कि गत 2 वर्षों की बोनस एवं धान की पिछले साल के शेष बची हुई राशि भी दिवालीके पहले जारी कर अपने वादों को पूरा करे। श्री वर्मा ने कहा कि धान खरीदी केंद्रों में धान के रख रखाव की सम्मपूर्ण व्यवस्था हो। जिससे धान की मिंजाई के पश्चात किसान अपने धान को सीधे सोसायटी ले जाकर बेच सके। पिछले वर्ष धान खरीदी में प्रति बोरा 4 से पांच किलो धान में डंडी मारने की शिकायत सामने आ रही थी सामान्य कांटे से झुकती में धान खरीदी हो रही थी। सरकार हर खरीदी केंद्रों में डिजिटल कांटे का उपयोग करे। अन्नदाता को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो इस बात का विशेष ख्याल रखा जाए।किसान विषम परिस्थितियों एवं सीमित संसाधनों में अपनी पूरी मेहनत से फसल उगाता है उन्हें किसी भी प्रकार की अव्यवस्था का सामना ना करना पड़े इसकी चिंता सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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