कांकेर – नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण असाधारण स्थिति में कुछ असामाजिक एवं स्वार्थी तत्वों द्वारा अनाथ, परित्यक्त बालकों को दत्तक में दिये जाने संबंधित सोशल मीडिया में जारी हो रहे संदेशों को भ्रामक एवं असत्य बताते हुए जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया ने कहा कि किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 80 के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी अनाथ, परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को प्रावधान अनुसार या प्रक्रियाओं का अनुसरण किये बिना गोद लेता है या गोद लेने का प्रयोजन करता है, तो ऐसे व्यक्ति या संगठन, दोनो को प्रावधान अनुसार कारावास जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकेगी या एक लाख रूपये के जुर्मान से या दोनों से दंडनीय होगा, परन्तु ऐसे मामले जहाॅ अपराध किसी मान्यता प्राप्त दत्तक ग्रहण अभिकरण के द्वारा किया जाता है। ऐसे प्रकरण में दत्तक ग्रहण के भारसाधक और प्रति दिन के कार्यों के संचालन के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों पर उपरोक्त दंड के अतिरिक्त अभिकरण की धारा 41 के अधीन उसकी मान्यता को कम से कम 01 वर्ष की अवधि के लिये वापस ले लिया जायेगा। बच्चो के सर्वोत्म हित को ध्यान में रखते हुए अवैध दत्तक ग्रहण की रोकथाक के लिये सायबर सेल के सहयोग से सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहे भ्रामक संदेशों के रोकथाम तथा संबंधितों पर भारतीय दण्ड संहिता एवं किशोर (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानुसार सुसंगत कार्यवाही की जायेगी।