लोकेश्वर सिन्हा
गरियाबंद —जिले के हरे-भरे जंगल की चारों ओर पेड़ों की अवैध कटाई का खेल जोरों पर चल रहा है। विभाग द्वारा की जा रही लापरवाही से वह दिन अब दूर नहीं होगी की बगैर पेड़ पौधों के जंगल अपने अस्तित्व की तलाश करेगी। प्रतिदिन हरे भरे पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। जिसे रोकने की बजाय वन विकास निगम चुप्पी साधे हुए बैठी है। सूचना तंत्र के माध्यम से छापामार कार्रवाई कर स्वयं की कितनी भी पीठ थपथपा ले विभागीय अधिकारी। लेकिन कड़वा सच कुछ और ही है। जंगल से कटाई करने के पश्चात घरों तक लकड़ी तस्कर की जाती है। इस दौरान विभागीय अधिकारी कर्मचारी कुंभकर्णीय निद्रा में रहते हैं। जंगलों में पेड़ो की कटाई रोकने पक्ष में छापामार कर कार्यवाही नहीं करना लकड़ी तस्करों के लिए मिल का पत्थर साबित हो रही है। मुख्य मार्ग जंगल से लगे सागौन, सराई जैसी बेशकीमती पेड़ो की खुलेआम अवैध कटाई रूकने का नाम नहीं ले रही है। गरियाबंद अंचल के सभी ग्रामों में अवैध कटाई की लगातार शिकायत उजागर हो रही है जो कहीं ना कहीं विभाग की छवि को धूमिल कर सवालों के कटघरे में खड़ी करती हुई नजर आ रही है।
इसी कड़ी में एक मामला वनमण्डल गरियाबंद अंतर्गत आने वाले वन परिक्षेत्र छुरा के जंगलों मे बीते दिनों लकड़ी तस्करों ने जिले में लगे लाकडाउन का फायदा बखूबी से उठाकर जंगल से 12 नग सैगोन पेड़ मशीन से कटाई कर ले गये… और सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी भनक वन कर्मचारियों को नही लगी। पूरा मामला वन परिक्षेत्र छुरा अंतर्गत ग्राम दादरगांव पुराना के कक्ष क्रमांक 192 का है। जहां बीते दिनों लकड़ी तस्करों ने जंगल मे बड़े बड़े कीमती सैगोन की बेशकीमती लकड़ी मशीन से कटाई कर ले गये। मामले की जानकारी वन सुरक्षा समिति को होते ही समिति के सदस्य और ग्रामवासी ग्राम से लगे जंगल मे पहुच गए। जहां सैगोन के गोले जंगल मे इधर उधर छुपाए हुए मीले। जिसकी जानकारी वन समिति के सदस्यों ने वन विभाग छुरा के वन अधिकारी रेंजर को दूरभाष से दी और वह मौके पर पहुंच गए। गौरतलब हो कि इतने बड़े मामले की जानकारी वनविभाग के फारेस्टगाड द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को नही देना भी कई प्रश्नों को जन्म देती है। वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने इस लकड़ी की कटाई के मामले में वन कर्मचारियों की भूमिका को संदेहप्रद बताते हुए वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस डी दीवान को इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया हैं। छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा इस अवैध कटाई मामले पर उपवनपरिक्षेत्र अधिकारी धनेश सिन्हा को तीन दिनों के अंदर जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है। जंगल के अंदर अवैध कब्जा कर पेड़ो की बड़ी संख्या में की गई गाडलिंग पर भी जांच कर एफआईआर दर्ज करने की बात कही। छुरा वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा दादरगांव पुराना से लगे जंगल मे कब्जा कर पेड़ो की गाडलिंग करने के हमले में भी जांच टीम गठित कर दो दिनों के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दोषियों पर थाने में एफ आई आर दर्ज करने की बात कही गई। इधर वन विभाग ने शंका के आधार पर दादरगांव पुराना के अगनुराम दीवान के घर मे वनपरिक्षेत्र अधिकारी एस डी दीवान के नेतृत्व में छापा मारा गया जहां से वन विभाग की टीम ने आरोपी द्वारा घर के बॉडी में पैरा के नीचे छिपा के रखे सोने के समान सैगोन लकड़ी के लठ्ठे बरामद किये। साथ ही आरोपी के घर से विभाग के बड़ी संख्या में बीजा लकड़ी के पल्ले के साथ लकड़ी काटने का आरा भी बरामद किया गया। जिसको वन विभाग द्वारा जब्त कर आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही की गई। जिस आरोपी के घर से वनविभाग ने अवैध सैगोन और बीजा के पल्ले व लकड़ी बरामद की है उसे फारेस्ट गार्ड का खास आदमी बताया जा रहा है। इसलिए ही इस पूरे लकड़ी तस्करी के मामले में वनसुरक्षा समिति के सदस्यों में इस पूरे मामले में वन कर्मचारी की भूमिका पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। अब पूरी जानकारी होने पर ही बताया जा सकता है की फॉरेस्ट गार्ड के साथ आरोपी का रिश्ता कितने दिनों से जुड़ा हुआ है जो इन हरे भरे जंगलों से लकड़ी का अवैध कारोबार कर रहे हैं। कहीं ना कहीं शंका यह भी है कि फॉरेस्ट गार्ड के साथ मिलीभगत कर पहले से भी कई बेशकीमती लकड़ी का अवैध रूप से तस्करी कर चुके हैं अब जानकारी होने पर ही बताया जा सकता है कि आखिरकार असलियत क्या है और किस के बलबूते पर ऐसे जंगल से लगे लोग इतने बड़े कदम कैसे उठाते हैं
रोजाना जंगलों में तेजी से हो रही पेड़ो की कटाई
कस्बे और आसपास के जंगलों में रोजाना तेजी के साथ जंगलों की कटाई की जा रही है। जिससे जंगल में हरे-भरे पौधों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। पेड़ों की कटाई के कारण वन परिक्षेत्र कम होता जा रहा है। 15 साल पहले जंगल काफी हरे-भरे हुआ करते थे, लेकिन इसमें आज कमी आ चुकी है। बीते दिनों भी राजस्व की जमीन पर अतिक्रमणकारियों द्वारा पेड़ काटने का मामला सामने आया था। तब एसडीएम ने लकड़ी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके जंगल की कटाई पर वन विभाग रोक लगाने में असमर्थ दिखाई दे रहा है।
पौधरोपरण के लिए हर साल किए जाते हैं लाखों रु. खर्च
क्षेत्र के जंगलों में पौधरोपण के लिए वन विभाग अधिकारियों को टारगेट दिया जाता है। वहीं अधिकारी पौधारोपण में लाखों रुपए खर्च कर पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उनकी देखरेख और सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसके अलावा जंगलों में खड़े पेड़ों की देखरेख वन विभाग द्वारा की जाए तो जंगल को काफी हद तक बचाया जा सकता है।
लगातार वनविभाग पर उठने लगे सवाल
छुरा वन विभाग के लगातार गस्ती व सक्रियता पर उठने लगे सवाल, आजकल लोगों का होंसला इतना बुलंद हो चुका है कि इनके द्वारा दिन दहाड़े जंगल के छोटे छोटे साल के वृक्ष को काट कर जलाऊ के लिए ले जाया जा रहा है। ज्ञात हो की वन विभाग के द्वारा लाखों रुपये की लागत से कर्मचारियों के रहने के लिए मकान बनाया गया है पर अधिकांश जगहों पर कर्मचारी मुख्यालय में न रहकर अपने घरों से आना जाना करतें हैं जिसकी वजह से लकड़ी तस्करों को जंगल से लकड़ी लाने का मौका मिल जाता है, वही शासन ने सरकार की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ उठाने प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही वन कर्मियों का गस्ती व सक्रियता भी बढ़ाने की बात होती रहती है, परन्तु क्षेत्र में कुछ और ही दिखाई पड़ता है, कुछ असामाजिक तत्व के द्वारा वनों का बेधड़क कटाई किया जा रहा है।