भिलाई। छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय भाजपा नेता दुर्ग लोकसभा सांसद विजय बघेल जी ने अपने 61 वें जन्मदिन पर आज के दिनचर्या की शुरुआत छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति के अनुसार अपनी धर्मपत्नी श्रीमती रजनी बघेल के साथ अपने कुल के देवी-देवताओं का पूजन किया। उनके घरेलू आचार्य पण्डित विनोद चौबे ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा संपन्न कराए। सेक्टर-5 स्थित श्री गणेश मंदिर एवं बालाजी मंदिर पहुंचे वहां उन्होंने राष्ट्र के उत्कर्ष, उत्थान एवं आरोग्यता की कामना की।
छत्तीसगढ़ के संवेदनशील राजनेताओं में शुमार नेता विजय बघेल प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सेक्टर-2 स्थित “आस्था” वृद्धाश्रम पहुंचकर वहां आश्रम में मौजूद सभी वृद्धजनों को साल ओढ़ाकर फल एवं मिष्ठान भेंट किए। वहां उपस्थित वरिष्ठजनों, प्रबुद्धजनों ने सांसद को जन्मदिन की शुभकामनाएं प्रेषित की। तत्पश्चात सांसद श्री बघेल सेक्टर-7 स्थित नि:शक्त जनों का सेवा आश्रम ‘स्नेह संपदा’ में नि:शक्त जनों को भी फल वितरित किए। एक नि:शक्त बालनारायण को सांसद ने अपने हाथों से केला खिलाते हुए भावुक हो गए। जो आज शहर में चर्चा का विषय रहा।
वास्तविक में यही व्यक्तित्व सांसद विजय बघेल को और नेताओं से अलग करती है।
समरसता, सहजता और सरलता इतनी है कि वे जब गणेश मंदिर सेक्टर-5 में प्रवेश द्वार पर एक 80 वर्ष की आयु वाली एक बुजुर्ग महिला भीड़ से किनारे खड़ी माला-फुल दूकान पर खड़ी सांसद को आशीर्वाद देने हाथ बढ़ाया तो , सांसद श्री बघेल स्वयं उनकी ओर चल पड़े जाकर उन्होंने उनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लिया, यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित आम लोगों की आंखें भर आईं।
समय-समय पर सांसद विजय बघेल ने अपने वक्तव्यों में हमेशा इन बातों को रखते हैं कि यह पद आज है कल नहीं रहेगा या इससे बड़े पद पर रहूंगा, लेकिन आपसे मेरा यह आत्मीय संबंध हमेशा रहेगा। मैं अपने आपको बड़भागी इस मामले में मानता हूं कि मैं और मेरी धर्मपत्नी श्रीमती रजनी बघेल एवं पुत्र सौरव, पुत्री प्रतीक्षा तक ही सीमित परिवार नहीं बल्कि पूरा दुर्ग लोकसभा मेरा परिवार है, और आज जो कुछ भी हूं आप सभी के आशीर्वाद से हूं।