अभिव्यक्ति: एआईसीटीई द्वारा बीई बीटेक में प्रवेश हेतु अर्हकारी परीक्षा के विषयों में बदलाव, क्या रोजगार की गारंटी देगा – शंकर वराठे

दुर्ग। देश के इंजीनियरिंग संस्थाओं से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग /टेक्नोलॉजी के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम की पढ़ाई हेतु अर्हकारी 12वीं की परीक्षा के विषयों में वर्ष 2021-22 से एआईसीटीई ने बदलाव किया है। पूर्व में शैक्षणिक अर्हता अनिवार्य विषयों के रूप में भौतिकी एवं गणित सहित रसायन/ जैव प्रौद्योगिकी/ बायोलॉजी/ तकनीकी व्यावसायिक विषय में से किसी एक विषय के साथ 10+2 शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत 12वीं की परीक्षा मान्यता प्राप्त बोर्ड/ विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होना अनिवार्य था। परंतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने वर्ष 2021-22 हेतु जारी अनुमोदन प्रक्रिया पुस्तिका वर्ष 2021-22, में शैक्षणिक अर्हता अनिवार्य विषयों के रूप में भौतिकी एवं गणित को हटा दिया और अर्हकारी परीक्षा 10+2 में मैथेमेटिक्स/ फिजिक्स/केमिस्ट्री/कम्प्यूटर साइंस/इलेक्ट्रॉनिक्स/इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी/बायोलॉजी/इंफारमेटिकस प्रेक्टिस/बायोटेक्नोलॉजी/टेक्निकल वोकेशनल सब्जेक्ट/एग्रीकल्चर/इंजीनियरिंग ग्राफिक्स/बिजिनेस स्टडीज/ इंटरप्रेन्योरशिप विषयों में से कोई तीन विषयों में 45% अंक सामान्य श्रेणी एवं 40% अंक आरक्षित श्रेणी वाले प्रवेशार्थी हेतु रखें गये है ।
क्या यह बदलाव ग्रेजुएट इंजीनियर को रोजगार या रोजगार की गारंटी देगा, यह चर्चा का विषय हो सकता है। देश में अकादमिक वर्ष 2019-20 में एआईसीटीई से एप्रूवल प्राप्त तकनीकी संस्थाएं 10989 है जिसमें प्रवेश क्षमता 3284628 है। इस प्रवेशित क्षमता में 529231 छात्राओं तथा 1333878 छात्रों ने प्रवेश लिया बाकी 1421519 सीटों का क्या हुआ। पूर्व में गुणवत्ता परख सीमित तकनीकी संस्थाएं हुआ करती थी जो कुछ हत तक रोजगार की गारंटी दिया करती थी। परंतु वर्तमान समय में 10989 तकनीकी संस्थाएं हैं, जिसमें प्रवेश क्षमता 32 लाख से ऊपर है, रोजगार के अवसरों में कमी के कारण युवाओं का रुझान इंजीनियरिंग कोर्स के प्रति कम हुआ है। एआईसीटीई ने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग/टेक्नोलॉजी के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु अर्हकारी परीक्षा 12 वी के विषयों में विकल्प देकर प्रवेश क्षमता को भरें जाने का रास्ता खोला है, क्या यह बेरोजगार इंजीनियरों की संख्या नहीं बढ़ाएगा। जिस गति से एआईसीटीई नियमों में बदलाव करती है उस गति से विश्वविद्यालय एवं संस्थाएं उसे लागू नहीं कर पाती। अर्हकारी परीक्षा में कम प्रतिशत प्राप्त विधार्थियों को इंजीनियरिंग में प्रवेश देने से अध्यापकों को बेसिक स्तर जिसकी छात्रों से अपेक्षा की जाती है उससे भी नीचे समझाने हेतु उतरना पड़ता है। जब छात्र को एक विभाजन एक का उत्तर एक बताया जाता है और जब उससे 2 विभाजन दो का उत्तर पूछा जाए और वह दो बताता है तो यह प्रवेश हेतु निर्धारित अर्हकारी परीक्षा में प्राप्तांक में छूट को दिखाता है, यह हाल अनिवार्य विषय फिजिक्स एवं मैथेमेटिक्स के आधार पर प्रवेशित छात्रों का है, तब यह अनिवार्य विषयों को मुक्त कर प्रवेश दिया जाएगा तो स्थिति और भयावह होने की संभावना है।

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